विवाह दो दिलों या दो व्यक्तियों का संगम ही है अपितु दो परिवारों का भी संगम है १ विवाह के बाद दोनों परिवारों में सुख समृद्धि आये, परिवार में वृद्धि हो इसके लिए नक्षत्र से सबंधित कुछ विशेष बातों का ध्यान रखें जैसे :-
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- विवाह के समय पर जो नक्षत्र चल रहा है वर /वधु के जन्म नक्षत्र से दूसरा, चौथा, छठा, आठवां और नौवां हो तो दोनों भाग्यशाली और संपत्तिवान होते हैं १
- विवाह समय मघा नक्षत्र हो तो वर दीर्घायु होता है और वधु भी पुत्र-पौत्रों से युक्त होती है १
- मृगशिरा नक्षत्र में किया गया विवाह वर /वधु दोनों में आपसी सदभाव होता है और खुशहाल जिंदगी जीते हैं १
- विवाह के समय हस्त नक्षत्र हो तो वर /वधु दोनों के लिए शुभ होता है १ परिवार में सुख समृद्धि, मान-सम्मान और यश की वृद्धि है १
- स्वाति, अनुराधा नक्षत्र में क्या गया विवाह भी पति/पत्नी में आदर भावना रहेगी और धन-धान्य की प्राप्ति होगी १
- रेवती नक्षत्र में विवाह हो तो पति/पत्नी में आपसी सौहार्द बना रहता है १
- तीनों उत्तरा - उत्तराफाल्गुनी,उत्तराषाढ़ा और उत्तराभाद्रपद में किया गया विवाह सुख-समृद्धिदायक होता है १ पति /पत्नी को नौकरों का सुख मिलता है बच्चों के बच्चों को भी देखता है १
विवाह के समय त्याज्य योग
- एक नक्षत्र जो अभी-अभी पाप राशि से निकला है या पाप राशि में प्रवेश करा रहा है तो उस राशि को विवाह के समय छोड़ चाहिए १
- पक्ष के अंत में विवाह नहीं करना चाहिए (15 दिन का एक पक्ष होता है)
- वर्षान्त में विवाह परिवार में बर्बादी लेकर आता है १
- जन्म नक्षत्र और जन्म नक्षत्र से 19 वां नक्षत्र में विवह करना अशुभता लेकर आता है १
- जन्म नक्षत्र से तीसरा नक्षत्र और सप्तम नक्षत्र में भी किया गया विवाह दुर्भाग्य लाता है
- जन्म नक्षत्र, जन्म मास और जन्म दिन को भी विवाह नहीं करना चाहिए ज्येष्ठा पुत्र हो तो कदापि नहीं
- उत्तरायण और दक्षिणायन के अंत में विवाह से भी पछतावे के सिवा कुछ नहीं मिलता १
- जन्म राशि से अष्टम चन्द्र हो तो ये शादी वैधव्य लेकर आती है १
- पृष्ठोदय राशि में भी विवाह नहीं करना चाहिए १
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