श्रावण मास में शिव आराधना का महत्व
वेदांत दर्शनों और इतिहास ग्रंथों में शिवजी के पारब्रह्म तत्व की विवेचना की गई है १ वेदमंत्रों में भी शिव की संस्तुति एकादश अनुवाकों में की गई है जो रुद्राध्यायों के नाम से प्रसिद्ध है १ भगवान शिव शांत हैं लेकिन उनके रूद्र अशांत हैं १ रुद्रों की संख्या ग्यारह है और हनुमानजी ग्यारहवें रूद्र के अवतार माने जाते हैं १ ऋग्वेद में आये उदाहरणों से स्पष्ट है कि रुद्रों को सामान्यतः आंधी तूफ़ान का देवता माना जाता है १ जब ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में प्रचंड गर्मी पड़ती है और पृथ्वी साक्षात अग्निकुंड बन जाती है तब पृथ्वी पर रुद्रों का साम्राज्य व्याप्त होता है १ इन रुद्रों की प्रसन्नता के लिए और इनके क्रोध से रक्षा के लिए "रुद्राभिषेक " किया जाता है १ श्रावण मास में दूध, घी, शहद, दही और गंगाजल से शिवाभिषेक करने से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है १
श्रावण व भाद्रपद में वर्षा ऋतु आ जाती है , वायुमंडल में शीतलता आ जाती है, गर्म हवा अर्थात रुद्रों का प्रभाव कम हो जाता है और आर्द्र हवा अर्थात शिव तत्व का प्रभाव बढ़ने लगता है १ शिव तत्व भोले स्वभाव और शीघ्र प्रसन्न होकर वरदान देने का प्रतीक है १ श्रावण और भाद्रपद में सूर्य कर्क राशि (जल राशि ) में गोचर करता है इसलिए भोले शंकर का गंगाजल से अभिषेक करने का विधान है १
शतपथ ब्राह्मण में उल्लेख कि :-
"यज्ञेन वै देवादिवमुपोद, क्रामन्नाथ योअयम् देवः पशुनामिष्टे १
स इहा हियत तस्माद वास्तव्य, इत्याहुर्वास्तौ हि तदहियत ११ "
अर्थात रुद्रों के क्रूर स्वाभाव के कारण उन्हें देवकोटि से अलग रखा गया है १ जब देवताओं ने स्वर्ग प्राप्त किया तो रूद्र रूद्र पृथ्वी पर ही रह गए थे १ वैदिक यज्ञों में देवताओं को आहुति देने के बाद जो अपशिष्ट बच जाती थी जिसे रूद्र भाग कहते हैं उस पर रुद्रों का अधिकार मिला और उससे रूद्र प्रसन्न हो जाते हैं १ प्राचीन काल से ही ज्येष्ठ व आषाढ़ मास में वर्षा की कामना से बड़े बड़े यज्ञ किये हैं जिनसे रूद्र तृप्त हो जाते हैं और तभी शिव तत्व का उदय होता है १ मतलब यज्ञ से रूद्र प्रसन्न होने से ही वर्षाकाल में वर्षा होती है १
भगवान शंकर सर्वसमर्थ हैं, आशुतोष हैं, सब कुछ प्रदान कर सकते हैं १ रोग से मुक्ति के लिए, आयु वृद्धि के लिए, चिंता मुक्ति के लिए, सुख-शांति के लिए, कुंआरी कन्यायें मनोनुकूल वर की कामना से, सुहागिन स्त्रियां पति-पुत्र की दीर्घायु के लिए और अनेक कामनाओं की पूर्ति के लिए शिवजी की आराधना करती हैं १ इस श्रावण मास में की गई शिव पूजा का पुण्य वर्ष भर तक की गई पूजा के समान है १ प्रतिदिन शिव आराधना शुभ होती है परन्तु जो प्रतिदिन नहीं कर सकते वे केवल श्रावण मास में एक माह तक नियमित पूजा करें तो भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है १
रूद्र और शिव, महाकाल महादेव के ही दो रूप हैं जिसमे एक उष्ण है और एक शीतल १
"शिवोअह्म शिवोअह्म शिवः केवलोअहम शिवमस्तु"
कामना प्राप्ति के लिए शिवाराधना की विधि निम्न प्रकार हैं:-
वेदांत दर्शनों और इतिहास ग्रंथों में शिवजी के पारब्रह्म तत्व की विवेचना की गई है १ वेदमंत्रों में भी शिव की संस्तुति एकादश अनुवाकों में की गई है जो रुद्राध्यायों के नाम से प्रसिद्ध है १ भगवान शिव शांत हैं लेकिन उनके रूद्र अशांत हैं १ रुद्रों की संख्या ग्यारह है और हनुमानजी ग्यारहवें रूद्र के अवतार माने जाते हैं १ ऋग्वेद में आये उदाहरणों से स्पष्ट है कि रुद्रों को सामान्यतः आंधी तूफ़ान का देवता माना जाता है १ जब ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में प्रचंड गर्मी पड़ती है और पृथ्वी साक्षात अग्निकुंड बन जाती है तब पृथ्वी पर रुद्रों का साम्राज्य व्याप्त होता है १ इन रुद्रों की प्रसन्नता के लिए और इनके क्रोध से रक्षा के लिए "रुद्राभिषेक " किया जाता है १ श्रावण मास में दूध, घी, शहद, दही और गंगाजल से शिवाभिषेक करने से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है १
श्रावण व भाद्रपद में वर्षा ऋतु आ जाती है , वायुमंडल में शीतलता आ जाती है, गर्म हवा अर्थात रुद्रों का प्रभाव कम हो जाता है और आर्द्र हवा अर्थात शिव तत्व का प्रभाव बढ़ने लगता है १ शिव तत्व भोले स्वभाव और शीघ्र प्रसन्न होकर वरदान देने का प्रतीक है १ श्रावण और भाद्रपद में सूर्य कर्क राशि (जल राशि ) में गोचर करता है इसलिए भोले शंकर का गंगाजल से अभिषेक करने का विधान है १
शतपथ ब्राह्मण में उल्लेख कि :-
"यज्ञेन वै देवादिवमुपोद, क्रामन्नाथ योअयम् देवः पशुनामिष्टे १
स इहा हियत तस्माद वास्तव्य, इत्याहुर्वास्तौ हि तदहियत ११ "
अर्थात रुद्रों के क्रूर स्वाभाव के कारण उन्हें देवकोटि से अलग रखा गया है १ जब देवताओं ने स्वर्ग प्राप्त किया तो रूद्र रूद्र पृथ्वी पर ही रह गए थे १ वैदिक यज्ञों में देवताओं को आहुति देने के बाद जो अपशिष्ट बच जाती थी जिसे रूद्र भाग कहते हैं उस पर रुद्रों का अधिकार मिला और उससे रूद्र प्रसन्न हो जाते हैं १ प्राचीन काल से ही ज्येष्ठ व आषाढ़ मास में वर्षा की कामना से बड़े बड़े यज्ञ किये हैं जिनसे रूद्र तृप्त हो जाते हैं और तभी शिव तत्व का उदय होता है १ मतलब यज्ञ से रूद्र प्रसन्न होने से ही वर्षाकाल में वर्षा होती है १
भगवान शंकर सर्वसमर्थ हैं, आशुतोष हैं, सब कुछ प्रदान कर सकते हैं १ रोग से मुक्ति के लिए, आयु वृद्धि के लिए, चिंता मुक्ति के लिए, सुख-शांति के लिए, कुंआरी कन्यायें मनोनुकूल वर की कामना से, सुहागिन स्त्रियां पति-पुत्र की दीर्घायु के लिए और अनेक कामनाओं की पूर्ति के लिए शिवजी की आराधना करती हैं १ इस श्रावण मास में की गई शिव पूजा का पुण्य वर्ष भर तक की गई पूजा के समान है १ प्रतिदिन शिव आराधना शुभ होती है परन्तु जो प्रतिदिन नहीं कर सकते वे केवल श्रावण मास में एक माह तक नियमित पूजा करें तो भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है १
रूद्र और शिव, महाकाल महादेव के ही दो रूप हैं जिसमे एक उष्ण है और एक शीतल १
"शिवोअह्म शिवोअह्म शिवः केवलोअहम शिवमस्तु"
कामना प्राप्ति के लिए शिवाराधना की विधि निम्न प्रकार हैं:-
- भगवान शिव को पायस (खीर) अर्पित करने से राज सम्मान प्राप्त होता है
- कमल पुष्प से भगवान शिव की आराधना करने से ऐश्वर्य में वृद्धि होती है
- मधु एवं घी मिश्रित पायस भगवान शिव पर अर्पित करने से चमत्कारिक रूप से धन-सम्पदा की प्राप्ति होती है
- जो लोग लक्ष्मी की कामना करते हैं उन्हें बिल्व पत्रों एवं शंखपुष्पी के पुष्पों से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए
- अर्क वृक्ष के पुष्पों, श्वेतोत्पल तथा जपाकुसुम के पुष्पों से भगवान शिव की आराधना करने से शत्रुओं का नाश होता है और स्वयश की वृद्धि होती है १
- श्रावण में जल द्वारा सहस्रघटाभिषेक और "रुद्राष्टाध्यायी" का पाठ करने से भी समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है.
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