Thursday, 30 January 2014

कैसे करें भोजन द्वारा ग्रह मजबूत

हम अपने आहार द्वारा भी ग्रहों को बल दे सकते हैं जैसे:- 

सूर्य :- सूर्य अगर मजबूत हो तो हमें मान- सम्मान, सुख-समृध्धि मिलती  है १ पिता का संग और सहयोग मिलता है १ अगर सूर्य कमजोर हो तो मुंह में थूक  ज्यादा बनेगा, पिता से नहीं बनेगी, सरकार  से परेशानी रहेगी १ सूर्य को बल देने के लिए चौकर वाले आटे कि रोटी खाएं , फल अधिक खाएं १ निहार मुंह गुड़ खाकर ऊपर से पानी पियें १ ग्वारपाठा का  सेवन करें १
चन्द्र :- माँ से दूरी बन जाये, जातक वहमी हो जाये, हाथ-पैर शिथिल पड़  जाएँ, चेहरे पर दाग-धब्बे पड़  जाएँ, मन में उमंग ख़ुशी न रहे तो समझें  चंदरमा खराब है १ चंद्रमा को ठीक करने के लिए दूध में हरी इलायची डालकर पियें १ खीर खाएं, केवडा डालकर १ चांदी के गिलास में पानी, दूध पियें १ लीची, पनीर, मखाने की खीर खाने से चन्द्र मजबूत  होता है १ जंक फ़ूड खाने से बचें क्योंकि इससे राहू एक्टिव हो जाता है १
मंगल :- जल्दी थकना, भाई-बहन से झगड़ा, चोट ज्यादा लगे तो समझ लें मंगल ख़राब हैं १ पपीता, चुकंदर खाने से मंगल मजबूत होता है १ मीठी लस्सी पियें गुड़ डालकर  मंगल मजबूत होगा १ लौकी, तौरी की  सब्जी खाएं १
बुध :- बुध कमजोर होगा तो दांत ख़राब होंगे, जातक अपने विचारों को अभिव्यक्त नहीं कर पायेगा, स्किन (त्वचा) रोग हो जाते हैं , बुद्धि ख़राब हो जाती है १ इसके लिए हरी  मिर्च,आंवला, हरी सब्जियों का सेवन करें १ तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पियें १
गुरु:- गुरु ख़राब हो तो जातक मोटा होता चला जाता है,    रिश्ते बिगड़ जाते है १  लीवर ख़राब हो जाता है १ इसके लिए  अनार खाएं १ गन्ना, गुड खाएं १ सूर्य सम्मान देता है लेकिन गुरु उस सम्मान को बनाये रखता है
इसलिए गुरु को मजबूत रखें १ हल्दी, केला के सेवन से भी गुरु मजबूत होता है
शुक्र :- शुक्र ख़राब हो तो तन,मन,धन   सब पर ग्रहण लग जाता है १ धन, वैभव,ऐश्वर्य सभी कुछ शुक्र अच्छा हो तो ही मिलता है १ अतः शुक्र को बली रखने के लिए साबूदाने की खीर खाएं, पनीर खाएं, छेना तथा छेने कि मिठाइयां, दूध पछाड़कर उस पानी को पीने से भी शुक्र मजबूत होता है
शनि :- व्यवहारिक जीवन में कुछ पाना है तो शनि मजबूत होना चाहिए १ उड़द, राजमा, लॉन्ग डालकर चावल खाएं १ राइ का पानी पीयें शनि मजबूत होगा
राहु/केतु :- राहु शनि के सामान है और केतु मंगल के समान अतः शनि मंगल कि चीजें खानी चाहिए

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Friday, 24 January 2014

क्यों होता है मानसिक रोग (सिजोफ्रेनिया)/पर्सनालिटी डिसऑर्डर

  

इस रोग की  शुरुआत तभी हो जाती है जब बच्चा गर्भ में  होता है १ जो महिलाएं गर्भावस्था के समय डिप्रेशन तथा तनाव में रहती हैं या डर  और गुस्से में रहती हैं,  दुखी रहती हैं तो बच्चा इस रोग को जन्म से ही लेकर पैदा होता  है १  कुछ अन्य कारण हैं इस रोग के जो इस प्रकार हैं :-


  • गुस्से में उन्माद कि स्थिति तक पहुँच जाना ही सिजोफ्रेनिया है १ बच्चे के जन्म से  पांच वर्ष तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है १ इन पांच वर्षों में बच्चे के आस-पास का वातावरण, घर का माहौल, माता-पिता की मानसिक स्थिति, आर्थिक स्थिति आदि का बच्चे पर बहुत प्रभाव पड़ता है १ अतः एक स्वस्थ वातावरण बच्चे को मिले इस बात का   खास ख्याल रखना चाहिए १
  • सिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है १ इसमें रोगी कल्पनाओं में ही विचरण करने लगता है १  लोगों से  डरेगा, एक कोने में बैठा रहेगा, कई बार वॉयलेंट भी हो जाता है १ कई बार  रोगी बार-बार हाथ धोएगा, किसी को पसंद नहीं करता तो उसे देखकर वॉयलेंट हो जायेगा इत्यादि  १ 
  • अति महत्वकांक्षी  व्यक्ति  भी जब अपना लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता तो इस बीमारी का शिकार हो  जाता है १ 
  • ज्योतिषीय विचार करें तो जिस बच्चे का चन्द्र पीड़ित होता है तो बडा  होकर वो बच्चा इस रोग का शिकार  जल्दी होता है १ 
  • राहु,शनि , केतु अगर जन्म चन्द्र को पीड़ित करे तो जातक इस बीमारी से पीड़ित होता है १ जातक बहुत जल्दी डिप्रेशन में आ जाता है १ या तो वह चुप हो जाता है या फिर वॉयलेंट हो जाता है १ 
  • जब राहु केतु कि दशान्तर्दशा आती है या चन्द्र की  दशान्तर्दशा आती है तो वो दशा जातक की बीमारी को बढ़ा देती है १ 
उपाय 
  • बच्चा नकारात्मक, गुस्सैल हो जाये, कल्पनाओं में खोया रहे तो  बच्चे का चंदरमा बली करें १ इसके लिए चाँदी के गिलास में दूध/पानी पिलायें, गंगाजल का प्रयोग करें, माँ के सानिध्य में अधिक से अधिक रखें, मैडिटेशन कराएं १ 
  • रोगी को समाज से जोड़ें १ सुख-दुःख में शामिल करे १ रोगी से ज्यादा  से ज्यादा  बात करें १ समारोहों में ले जाएँ १ घर का माहौल खुशनुमा रखें १  
  • लाल रंग के वस्त्र, लाल मिर्च, तला हुआ खाना, मिच-मसाले वाला खाना न दें १ 
  • पूर्णमासी की  रात को छोटी इलायची डालकर  खीर बनाकर चाँद की रौशनी में रखें और सुबह खिलाएं
  • सिजोफ्रेनिया के रोगी को ठीक होने में वक़्त लगता है अतः  धैर्य रखें क्योंकि ऐसा रोगी खुद को रोगी नहीं मानता १ ऐसे रोगी को आपका प्यार ही ठीक कर सकता है १ 
  • सबसे जरुरी है जब बच्चा माँ के गर्भ में हो तो माँ के खान-पान के साथ-साथ ये भी ध्यान रखें कि वो खूब खुश रहे १ किसी तरह का मानसिक दबाव उस पर न रहे तभी एक  स्वस्थ बच्चा पैदा होगा क्योंकि ये बच्चे ही तो सभ्य समाज के निर्माता हैं 
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Saturday, 18 January 2014

शादी के बाद घर में सुख समृद्धि आएगी या नहीं - कुछ सूत्र


कुंडली का मिलान  करने के बाद ये भी देखना चाहिए कि विवाह के बाद वर/वधु कि जिंदगी में कितनी सुख समृद्धि, यश कीर्ति आयेगी १ कुछ सूत्र इस प्रकार हैं :-
  • वर/वधु की कुंडली में गुरु और मंगल समसप्तक नहीं होने चाहिए  अर्थात जहाँ लड़के कि कुंडली में गुरु/मंगल हों उससे सप्तम भाव में लड़की कि कुंडली में गुरु मंगल नहीं होने चाहिए 
  • वर/वधु की कुंडली में शनि एक दूसरे की कुंडली के लग्न, सप्तम भाव या सप्तमेश को दृष्ट करे तो इनकी जिंदगी में दरिद्रता आएगी 
  • लड़का/लड़की कि कुंडली में शनि/शुक्र 6 /8  और 2 /12  में नहीं होना चाहिए १ इस विवाह से ख़ुशी नहीं मिलेगी १ अगर इनमें से कोई ग्रह स्वगृही या उच्च का हो तो दोष का शमन हो जायेगा 
  • लड़का/लड़की दोनों की कुंडली में शनि चन्द्र दूसरे से 2 /12 , 6 /8  में नहीं होना चाहिए १ 
  • दोनों कि कुंडली में शनि राहु का समबन्ध नहीं होना चाहिए अगर ऐसा है तो दोनों  एस दूसरे के प्रति नफरत पैदा करेंगे १ 
  • लड़के कि कुंडली का सप्तमेश लड़की की कुंडली के 6 ,8 ,12 भाव में चला जाये या इसका उल्टा हो जाये तो शुभ नहीं है १ लड़की कि कुंडली का सप्तमेश 6 ,8 ,12 में चला जाये तो ज्यादा  दोष नहीं है लेकिन अगर लड़के का हो तो खराब है १ शास्त्रों में कहा गया है कि इससे लड़के की उम्र कम होती  है
  • पंचम भाव पर राहु हो, पंचमेश नीच, अस्त तो ये मिलन शुभ नहीं है वंश वृद्धि नहीं होती १ लड़की कि कुंडली में हो तो तभी मिलाएं जब लड़के की कुंडली में पंचम भाव बलिष्ट हो १ 
  • लड़की की  कुंडली में जहाँ मंगल हो  वहाँ  या वहाँ से केंद्र में लड़के की कुंडली का शुक्र हो तो दोनों बहुत अच्छा दाम्पत्य जीवन जीते हैं १ हर प्रकार कि खुशियां प्राप्त होती है 
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर पद रही हो तो ऐसा जातक जीवन भर अपने जीवनसाथी को प्यार करता रहेगा १ 
  • लड़के कि कुंडली के सप्तम भाव पर और लड़की की कुंडली के अष्टम भाव पर मंगल शुक्र की युति अपने आप में बहुत बड़ा दोष है १ ये व्यभिचारी होते है इनकी कामुकता कभी शांत नहीं होती १ 
  • अगर अष्टमेश 6 ,8 ,12 पर हो, नीच, अस्त हो तो ऐसी कुंडली से मिलान करना चाहिए जिसकी कुंडली में 1 ,7 ,8 भाव बली  हो १ 
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Friday, 17 January 2014

विवाह के विषय में महत्वपूर्ण सूत्र

विवाह के विषय में महत्वपूर्ण सूत्र 

  • माथे पर दोनों साइड से बाल उड़ने लगें तो ३० वर्ष कि  उम्र में शादी  है १ 
  • मंगल प्रथम,  सप्तम भाव में  हो  तो विवाह में विलम्ब होता है 
  • शनि मंगल तथा केतु की युति हो तो वैवाहिक जीवन में वैमनस्य रहता  है - शनि केतु का उपाय करें 
  • माथा न छोटा हो न ऊँचा तो विवाह उत्तम होगा और जीवन साथी भी मोहक होगा 
  • हमारे बाल भविष्य का आइना है - 22 -25  वर्ष कि उम्र में बाल उड़ने लगें तो विवाह 28  वर्ष के बाद होगा
  • मांग (स्त्रियों में )   दोनों साइड से बाल हलके होने लगें तो विवाह देर से होगा और वैवाहिक सुख में कमी होगी १ मंगल गुरु का उपाय करें १ अहंकार, इगो को दूर करें १ अपनी वाणी से किसी को आहत  न करें , उपाय के तौर पर गरीब कन्याओं को शुक्ल पक्ष की अस्टमी को भोजन कराएं 
  • गुरु के उपाय के लिए ईस्वर  का ध्यान करें मंदिर में  केले का पेड़ लगाकर उसे सींचें 
  • लम्बे घने  बाल अगर झड़ने लगें तो मंगल खराब हैं अतः ताम्बे का छल्ला अनामिका में पहनें 
  • बालों में रुसी हो तो राहु ख़राब है १ राहु चपलता  है जो वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नहीं है अतः राहु को ठीक करने के लिए चींटियों को आटा डालें, मछलियों को आटे कि गोलियां बनाकर खिलाएं 
  • बाल सुनहरे हैं, सॉफ्ट और चमकीले हों तो वैवाहिक जीवन सुखद , सम्पूर्ण सौभाग्य प्राप्त होगा 
  • घुंघराले बाल हों, माथा ऊँचा हो तो बहुत ही अच्छा भाग्य होता है १ 
  • शादी नहीं हो रही हो तो केले का पेड़ लगाएं, सींचे और केले का दान करें 
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