कुंडली का मिलान करने के बाद ये भी देखना चाहिए कि विवाह के बाद वर/वधु कि जिंदगी में कितनी सुख समृद्धि, यश कीर्ति आयेगी १ कुछ सूत्र इस प्रकार हैं :-
- वर/वधु की कुंडली में गुरु और मंगल समसप्तक नहीं होने चाहिए अर्थात जहाँ लड़के कि कुंडली में गुरु/मंगल हों उससे सप्तम भाव में लड़की कि कुंडली में गुरु मंगल नहीं होने चाहिए
- वर/वधु की कुंडली में शनि एक दूसरे की कुंडली के लग्न, सप्तम भाव या सप्तमेश को दृष्ट करे तो इनकी जिंदगी में दरिद्रता आएगी
- लड़का/लड़की कि कुंडली में शनि/शुक्र 6 /8 और 2 /12 में नहीं होना चाहिए १ इस विवाह से ख़ुशी नहीं मिलेगी १ अगर इनमें से कोई ग्रह स्वगृही या उच्च का हो तो दोष का शमन हो जायेगा
- लड़का/लड़की दोनों की कुंडली में शनि चन्द्र दूसरे से 2 /12 , 6 /8 में नहीं होना चाहिए १
- दोनों कि कुंडली में शनि राहु का समबन्ध नहीं होना चाहिए अगर ऐसा है तो दोनों एस दूसरे के प्रति नफरत पैदा करेंगे १
- लड़के कि कुंडली का सप्तमेश लड़की की कुंडली के 6 ,8 ,12 भाव में चला जाये या इसका उल्टा हो जाये तो शुभ नहीं है १ लड़की कि कुंडली का सप्तमेश 6 ,8 ,12 में चला जाये तो ज्यादा दोष नहीं है लेकिन अगर लड़के का हो तो खराब है १ शास्त्रों में कहा गया है कि इससे लड़के की उम्र कम होती है
- पंचम भाव पर राहु हो, पंचमेश नीच, अस्त तो ये मिलन शुभ नहीं है वंश वृद्धि नहीं होती १ लड़की कि कुंडली में हो तो तभी मिलाएं जब लड़के की कुंडली में पंचम भाव बलिष्ट हो १
- लड़की की कुंडली में जहाँ मंगल हो वहाँ या वहाँ से केंद्र में लड़के की कुंडली का शुक्र हो तो दोनों बहुत अच्छा दाम्पत्य जीवन जीते हैं १ हर प्रकार कि खुशियां प्राप्त होती है
- शनि की दृष्टि शुक्र पर पद रही हो तो ऐसा जातक जीवन भर अपने जीवनसाथी को प्यार करता रहेगा १
- लड़के कि कुंडली के सप्तम भाव पर और लड़की की कुंडली के अष्टम भाव पर मंगल शुक्र की युति अपने आप में बहुत बड़ा दोष है १ ये व्यभिचारी होते है इनकी कामुकता कभी शांत नहीं होती १
- अगर अष्टमेश 6 ,8 ,12 पर हो, नीच, अस्त हो तो ऐसी कुंडली से मिलान करना चाहिए जिसकी कुंडली में 1 ,7 ,8 भाव बली हो १
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