ब्रह्मपुराण में कहा गया है :-
"आयु प्रजां धनं विद्यां स्वर्ग मोक्षं सुखानि च
प्रयच्छन्ति तथा राज्यं पितरः श्राद्ध तर्पित" अर्थात श्राद्ध के द्वारा प्रसन्न हुए पित्रगन मनुष्यों को पुत्र,धन,विद्या,आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष तथा स्वर्ग प्रदान करते हैं १ इस वर्ष श्राद्ध पक्ष 19 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक रहेगा तथा इस अवधि में मांगलिक कार्य, शुभ कार्य, विवाह और विवाह की बात चलाना वर्जित है १
कैसे करें तर्पण
सबसे पहले स्नान करके गायत्री मन्त्र पढ़ते हुए तिलक लगायें १ कुश से बनाई गई पवित्री दोनों हाथों की अनामिका में गायत्री मंत्र का जप करते हुए पहने तथा "ॐ आगच्छन्तु मे पितर इमं गृहनंतु जलान्जलिम" मन्त्र जपते हुए पितरों का आवाहन करें १ उसके बाद हाथ में कुश,जौ ,अक्षत लेकर संकल्प करें :- अद्य श्रुति स्मृति पुराणोक्तफल्प्रप्त्यार्थम देवर्षिमनुष्य दिव्यपितृतर्पण करिष्ये १ अब जल, तिल और कुश हाथ में लेकर दक्षिण की ओर मुंह करके पिता,पितामह,प्रपितामह तथा माता, दादी, परदादी के निमित तीन-तीन जलांजलि दें १
कैसे करें श्राद्ध
विष्णु पुराण में कहा गया है कि श्राद्ध में पितरों की तृप्ति ब्राह्मणों के द्वारा ही होती है १ अतः श्राद्ध में दिवंगत पूर्वजों की मृत्यु तिथि को ब्राह्मण को निमंत्रण देकर घर बुलाएँ और भोजन,वस्त्र,दक्षिणा सहित दान देकर श्राद्ध करें १ इस दिन पांच पतों पर बना हुआ भोजन थोडा-थोडा रखकर पंचबली निकालें - गौ बलि, श्वान बलि, काक बलि,देवादि बलि और पिपिलिकादी बलि (चींटियों के लिए)
कब न करें श्राद्ध
पूर्वजों की मृत्यु के प्रथम वर्ष में श्राद्ध नहीं करें १ पूर्वाह्न में, शुक्ल पक्ष में,रात्रि में और अपने जन्म दिन में श्राद्ध न करें १ कूर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि, विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित श्राद्ध करने का विधान नहीं है १ चतुर्दशी तिथि को भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए अगर इस दिन कोई पूर्वज दिवंगत हुआ हो तो उसका श्राद्ध अमावस्या को १
श्राद्ध पक्ष में पितृ दोष निवारण के लिए किये गए उपायों से पितरों का आशीर्वाद मिलता है तथा संतान सुख, सम्पति लाभ, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है १
किसी भी प्रकार की सलाह के लिए संपर्क करें:-jyotishsanjeevani@gmail.com
"आयु प्रजां धनं विद्यां स्वर्ग मोक्षं सुखानि च
प्रयच्छन्ति तथा राज्यं पितरः श्राद्ध तर्पित" अर्थात श्राद्ध के द्वारा प्रसन्न हुए पित्रगन मनुष्यों को पुत्र,धन,विद्या,आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष तथा स्वर्ग प्रदान करते हैं १ इस वर्ष श्राद्ध पक्ष 19 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक रहेगा तथा इस अवधि में मांगलिक कार्य, शुभ कार्य, विवाह और विवाह की बात चलाना वर्जित है १
कैसे करें तर्पण
सबसे पहले स्नान करके गायत्री मन्त्र पढ़ते हुए तिलक लगायें १ कुश से बनाई गई पवित्री दोनों हाथों की अनामिका में गायत्री मंत्र का जप करते हुए पहने तथा "ॐ आगच्छन्तु मे पितर इमं गृहनंतु जलान्जलिम" मन्त्र जपते हुए पितरों का आवाहन करें १ उसके बाद हाथ में कुश,जौ ,अक्षत लेकर संकल्प करें :- अद्य श्रुति स्मृति पुराणोक्तफल्प्रप्त्यार्थम देवर्षिमनुष्य दिव्यपितृतर्पण करिष्ये १ अब जल, तिल और कुश हाथ में लेकर दक्षिण की ओर मुंह करके पिता,पितामह,प्रपितामह तथा माता, दादी, परदादी के निमित तीन-तीन जलांजलि दें १
कैसे करें श्राद्ध
विष्णु पुराण में कहा गया है कि श्राद्ध में पितरों की तृप्ति ब्राह्मणों के द्वारा ही होती है १ अतः श्राद्ध में दिवंगत पूर्वजों की मृत्यु तिथि को ब्राह्मण को निमंत्रण देकर घर बुलाएँ और भोजन,वस्त्र,दक्षिणा सहित दान देकर श्राद्ध करें १ इस दिन पांच पतों पर बना हुआ भोजन थोडा-थोडा रखकर पंचबली निकालें - गौ बलि, श्वान बलि, काक बलि,देवादि बलि और पिपिलिकादी बलि (चींटियों के लिए)
कब न करें श्राद्ध
पूर्वजों की मृत्यु के प्रथम वर्ष में श्राद्ध नहीं करें १ पूर्वाह्न में, शुक्ल पक्ष में,रात्रि में और अपने जन्म दिन में श्राद्ध न करें १ कूर्म पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अग्नि, विष आदि के द्वारा आत्महत्या करता है उसके निमित श्राद्ध करने का विधान नहीं है १ चतुर्दशी तिथि को भी श्राद्ध नहीं करना चाहिए अगर इस दिन कोई पूर्वज दिवंगत हुआ हो तो उसका श्राद्ध अमावस्या को १
श्राद्ध पक्ष में पितृ दोष निवारण के लिए किये गए उपायों से पितरों का आशीर्वाद मिलता है तथा संतान सुख, सम्पति लाभ, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है १
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