आधुनिक युग मेंअधिकतर लोग विदेश जाना चाहते हैं १ कुछ लोग आसानी से विदेश चले जाते हैं और कुछ अथक प्रयासों के बावजूद नहीं जा पाते १ क्या हैं ज्योतिषीय कारण, आज मैं यही बताने का प्रयास कर रही हूँ :-
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- कुंडली के तृतीय, पंचम,अष्टम,नवम और दशम भाव से विदेश यात्रा के बारे में देखा जाता है १
- कुंडली में सूर्य, चन्द्र,मंगल, बुध, गुरु और राहु केतु आदि ग्रह ये बताते हैं कि जातक विदेश में किस उद्देश्य से विदेश जायगा १
- सूर्य के कारण जातक विदेश जाता है तो उसे कोई सम्मान मिलता है विदेश में १ अगर सूर्य खराब हो तो जातक सरकारी दंड से बचने के लिए विदेश छिपने के लिए जाना चाहता है १
- चन्द्र बलिष्ट हो तो जातक बड़ी आसानी से विदेश चला जाता है और चन्द्र ख़राब हो तो जातक को विदेश जाने में तो परेशानी होती ही है, वह विदेश में खुश भी नहीं रहता १ अच्छे चन्द्र के कारण ही जातक लम्बी विदेश यात्रा करता है १
- खराब चन्द्र वाले को नदी, समुद्र के पास यात्रा अवश्य करनी चाहिए १
- कुंडली मंगल अच्छा हो तो जातक विदेश जाकर वहाँ सेटल हो सकता है, लेकिन शुभ मंगल वाला जातक स्वदेश भी जरुर आता है १
- मेष, सिंह, वृश्चिक राशि/ लगन वाले जातक विदेश जाते हैं और कुछ वक़्त बिताकर वापस स्वदेश लौट आते है १
- बुध विदेश जाने का कारक बने तो जातक व्यापार या वक्तव्य देने के लिए विदेश जाता है १ अगर बुध तीसरे भाव, द्वादश भाव या चन्द्र से सम्बन्ध बनाये तो विदेश जाकर वापस लौट आयें अन्यथा हानि हो सकती है १
- गुरु अच्छा हो तो उच्च शिक्षा, परोपकार या शांति के लिए विदेश जाता है जातक १
- चन्द्र शुक्र युति हो तो अवश्य ही विदेश घूमता है जातक १
- शनि राहु केतु तकनीकि क्षेत्र में विदेश ले जाते हैं १
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