मंगल ग्रह कुंडली में बहुत महत्त्व रखता है १ मंगल कालपुरुष कुंडली का लग्नेश और अष्टमेश है १ भाई, भूमि,ओज,शक्ति,मनोबल और उर्जा का कारक है १ अगर ये मंगल जन्म कुंडली या गोचर में अष्टम भाव में हो तो इसके अशुभ परिणाम जातक को झेलने पड़ते हैं १ जैसे:-
- मंगल भाई और दोस्त का कारक है १ मंगल अष्टम भाव में हो तो जातक की भाई का सुख नहीं मिलता, अगर तीसरे घर में भी अशुभ ग्रह हों तो भाई के लिए बहुत घातक हो सकता है
- जातक के पराक्रम में कमी रहती है, जातक चिडचिडा और झगडालू होता है
- शादी के बाद पति/पत्नी में कलेश रहता है घर का वातावरण ख़राब रहता है
- घर में जब भी मंगल कार्य होता है तो कभी भी निर्विघ्न नहीं होता १ किसी न किसी तरह से क्लेश जरुर हो जाता है
- मेहनत का फल कभी नहीं मिलता १ किसी भी कम में हाथ डालो मेहनत ज्यादा और लाभ कम मिलता है १
- जमा पूंजी के लिए भी अशुभ होता है धन नहीं जुड़ता १ कुटुंब में भी लड़ाई झगडा रहता है १
- 28 से 33 वर्ष की उम्र में हालात और बिगड़ जाते है, वैवाहिक जीवन में परेशानी, रूपये पैसे में कमी, कारोबार में हानि, घर का सुख नहीं मिलता, घर में सुख शांति नहीं मिलती १
- खून की बीमारी, कैंसर आदि भयंकर रोग तथा दुर्घटनाओं के कारण अंग-भंग पर पैसा खर्च होगा
उपाय
- घर में नीम/बकायन का पेड़ न हो , ख़ुशी के मौके पर लाल रंग न पहनें
- तंदूर घर में बिलकुल न लगायें, दक्षिण मुखी मकान में न रहें
- उत्तरमुखी घर ऐसे जातकों के लिए शुभ होगा
- चाँदी की चैन गले में पहनें
- आठ मंगलवार कुतों को गुड की रोटी खिलायें
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