Friday, 17 October 2014

विवाह के समय नक्षत्रों प्रभाव

विवाह दो दिलों या दो व्यक्तियों का संगम ही है अपितु  दो परिवारों  का भी संगम है १ विवाह के बाद दोनों परिवारों में सुख समृद्धि आये, परिवार में वृद्धि हो इसके लिए नक्षत्र से सबंधित कुछ विशेष  बातों का ध्यान रखें जैसे :-
  • विवाह के समय पर जो नक्षत्र चल रहा है वर /वधु के जन्म नक्षत्र से दूसरा, चौथा, छठा, आठवां  और नौवां हो तो दोनों भाग्यशाली और संपत्तिवान होते हैं १ 
  • विवाह  समय मघा नक्षत्र हो तो वर दीर्घायु होता है और वधु भी पुत्र-पौत्रों से युक्त होती है १ 
  • मृगशिरा नक्षत्र   में किया गया विवाह वर /वधु दोनों में आपसी सदभाव होता है और खुशहाल जिंदगी जीते हैं १ 
  • विवाह के समय हस्त नक्षत्र  हो तो  वर /वधु दोनों के लिए शुभ होता है १ परिवार में सुख समृद्धि, मान-सम्मान और यश की वृद्धि है १ 
  • स्वाति, अनुराधा नक्षत्र में क्या गया विवाह भी पति/पत्नी में आदर  भावना रहेगी और धन-धान्य की प्राप्ति होगी १ 
  • रेवती नक्षत्र में विवाह हो तो  पति/पत्नी में आपसी सौहार्द बना रहता है १ 
  • तीनों उत्तरा - उत्तराफाल्गुनी,उत्तराषाढ़ा और उत्तराभाद्रपद में किया गया विवाह सुख-समृद्धिदायक होता है १ पति /पत्नी को नौकरों का सुख मिलता है बच्चों के बच्चों को भी देखता है १ 
विवाह के समय त्याज्य योग
  • एक नक्षत्र जो अभी-अभी पाप राशि से निकला है या पाप राशि में प्रवेश करा रहा है तो  उस  राशि को विवाह के समय छोड़  चाहिए १ 
  • पक्ष के अंत में विवाह नहीं करना चाहिए (15 दिन का एक पक्ष होता है)
  • वर्षान्त में  विवाह परिवार में बर्बादी लेकर आता है १ 
  • जन्म नक्षत्र और जन्म नक्षत्र से 19 वां  नक्षत्र में विवह करना अशुभता लेकर आता है १ 
  • जन्म नक्षत्र से तीसरा नक्षत्र और सप्तम नक्षत्र में भी किया गया विवाह  दुर्भाग्य लाता  है 
  • जन्म नक्षत्र, जन्म मास और जन्म दिन को भी विवाह नहीं करना चाहिए ज्येष्ठा पुत्र हो तो कदापि नहीं 
  • उत्तरायण और दक्षिणायन के अंत में विवाह  से  भी पछतावे के सिवा कुछ नहीं मिलता १ 
  •  जन्म राशि से अष्टम चन्द्र हो तो ये शादी वैधव्य लेकर आती है १ 
  • पृष्ठोदय राशि में भी विवाह नहीं करना चाहिए १ 

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Thursday, 6 March 2014

गोचर ग्रहों का जीवन पर प्रभाव


ब्रह्माण्ड में ग्रह हमेशा गतिशील रहते हैं और परिभ्रमण करते हुए कभी मार्गी और कभी वक्र गति से 12 राशियों को प्रभावित करते हैं १ 2014 में गोचर ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन कैसा रहेगा इसका मोटा-मोटा आकलन मैं यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ क्योंकि जातक कि कुंडली का अध्ययन करके ही सम्पूर्ण प्रभाव बताया जा सकता है १

मार्च से जून 

गुरु मार्च में मार्गी होंगे और उच्च के होकर इस अवधि में वर्गोत्तम भी रहेंगे १ शुक्र ग्रह भी शुरू में उच्चाभिलाषी रहेेंगे और बाद में उच्च के रहेंगे १ ये बहुत अच्छा समय रहेगा १ लोगों के रुके हुए कम बनेंगे १ आलसी लोग भी कुछ करने की सोचेंगे १  लोगों के मन में नए-नए विचार आयेंगे और अगर मेहनत और ईमानदारी से काम करेंगे तो शुभ परिणाम अवश्य मिलेंगे १ इस समय पर ली गई नौकरी, किसी व्यवसाय का शुभारम्भ बहुत फायदा पहुंचाएगा १ इसलिए मार्च से जून के मध्य जो भी अवसर मिले उसको गंवाना नहीं  चाहिए १ साथ ही अगर कुण्डली को देखकर दशान्तर्दशा किस ग्रह की है ये जोड़कर देख लेना चाहिए १ अक्षय तृतीया के पास तो चंदरमा भी उच्च का होगा और सूर्य भी उच्च का होगा १ अतः ये समय बहुत ही शुभ फलदायी होगा १ ईश्वर पर पूर्ण विश्वास, लग्न और मेहनत से काम करेंगे तो सुख समृध्धि बनी रहेगी १ 

जून से सितम्बर 

जून के बाद गुरु उच्च के वर्गोत्तम रहेंगे  और सूर्य भी गुरु के साथ आकर बहुत ही शक्तिशाली योग शिवराज योग बनाएगा १ अपने आप में एस अदभुद योग है १ सभी कि जिंदगी का बहुत ही महत्वपूर्ण समय हैं १ पहले से भी अच्छी स्थिति होगी १ राहु भी तुला से कन्या राशि में गोचर करेंगे तो कन्या राशि पवित्र हो जायेगी १ राहु ने तुला राशि में रहते हुए बहुत तंग किया था अब इस से निजात मिलेगी १ लेकिन इस अवधि में मंगल तुला राशि में विचरण करते हुए लगभग 6 महीने यहाँ रहकर आपदाएं लाएगा लेकिन गुरु सूर्य और शुक्र की स्थिति उबार लेगी १ 

अक्टूबर से दिसम्बर 

इस समय लोगों को सबसे ज्यादा सतर्क रहना चाहिए १ मन में भ्रम कि स्थिति बनी रहेगी १ जिनकी  षष्ठेश और अष्टमेश कि दशा चल रही है उन्हें बहुत सावधान रहना  चाहिए १ नौकरी बदलना , पैसा इन्वेस्ट करना आदि में सावधानी बरतें १ नवम्बर में शनि वृश्चिक राशि में आ जायेगा १ शास्त्रानुसार वृश्चिक का शनि सबसे ज्यादा ख़राब रहता है क्योंकि यहीं पर शनि लगभग तीन साल रहता है १ शनि कर्क राशि के लिए कंटक शनि और मेष राशि के लिए अष्टम शनि प्रतिकूल प्रभाव प्रभाव डालेगा १ मेष राशि के लिए अष्टम शनि बहुत ही खराब है १ कुल मिलकर ये समयावधि शुभ नहीं है १ उपयुक परिहार अवश्य करा लें १ सावधान सतर्क रहें १ प्रभु की शरण में रहते हुए अपने कुलदेवता , इष्ट देवता की आराधना करें १ किसी नए काम को शुरू न करें १ सकरात्मक सोच रखें १ ईश्वर सब ठीक करेंगे १ 

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Monday, 3 February 2014

हमारे दाँत और ग्रहों का प्रभाव



जन्म नक्षत्र का सीधा प्रभाव दान्तों पर  पड़ता है जो हमारे व्यक्तित्व को बहुत प्रभावित करते हैं १
  • जिनके ऊपर के दांत थोड़े बड़े होते हैं वो जातक भागयशाली होते हैं  १ 
  • ऊपर वाले दांतों  के साथ  नीचे वाले दांत भी बड़े हो तो जातक ज्ञानी तो  होगा लेकिन उसका जीवन संघर्षमय रहेगा 
  • छोटे-छोटे दांत एक सीढ़ी कतार में हों तो जातक चंचल स्वाभाव का  होगा १ ऐसे जातक का बुद्ध मजबूत होने से जातक तीक्ष्ण बुद्धि का होगा १ 
  • ऊपर के दांत असामान्य रूप से बड़े हों तो ऐसे जातक का मंगल बहुत मजबूत होता है और जातक उच्च पद पर पहुँचता है 
  • दांत बड़े हों और उनमें गैप हो तो जातक मूल नक्षत्र से प्रभावित होता है १ ऐसा जातक 42 वर्ष कि उम्र तक संघर्ष करता है १ जातक गुस्से वाला भी होता है 
  • अगर किसी की   नीचे की दाढ़ जल्दी गिर जाए और शरीर भारी हो तो जातक का भाग्योदय 36 वर्ष की  उम्र में होता है
  • दांत पर दांत चढ़ जाये तो  शुक्र मजबूत होता है १ जातक को यश, वैभव, मान-सम्मान मिलता है१ चेहरे और वाणी में सौम्यता रहती है १ 
  • कोई दांत छोटा और कोई दांत बड़ा यानि बेतरतीब दांत हों तो जातक नैतिक होता है १
  • ऊपर के बीच के दो दांत बड़े हों तो जातक का जीवन बहुत कठिनाइयों से भरा होता है १ ऐसे जातक को गुरु मजबूत करना चाहिए १ 
  • सामने के दांत इतने बड़े हों कि वो होठों से भी आगे आ जाएँ तो जातक बुद्धिहीन होता है १ ऐसे में बुद्ध को मजबूत करने से उपाय करें १ 
  • jaw line समान हो न ज्यादा उभरी हो न ज्यादा अंदर हो तो जातक भाग्यशाली होता है१ अगर अंदर को दबी हुई है तो जातक अपनी बात को स्पष्ट रूप से किसी के सामने नहीं रख पायेगा और आत्मबल में कमी रहेगी १ 
  इस तरह से हम अपने दांतों की  बनावट के  अनुसार  अपने ग्रहों को जानकर उनका उपाय कर  सकते हैं १
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Saturday, 1 February 2014

जब मंगल करे अमंगल


       गोचर में मंगल 4 फरवरी को कन्या राशि में प्रवेश करेगा १ 26 मार्च से 20 मई तक वक्री रहेगा  १ उसके बाद 4 सितम्बर तक तुला राशि में ही संचरण करेगा १ इस तरह से 7 महीने तक मंगल तुला राशि में रहेगा १ कुंडली में जिनका मंगल बलिष्ट हो तो उनका शारीर पुष्ट होगा, भाई-बहन का सुख होगा, सुख-सम्पति , मकान  जमीन-जायदाद का लाभ होगा व्यापार नौकरी में तरक्की होगी लेकिन जिनका मंगल कुपित हो, वक्री हो,कमजोर हो तो ऐसे जातकों को विशेष ध्यान रखना होगा १ ऐसे जातकों को निम्न परेशानियां हो सकती हैं :-
  • जातक को गुस्सा बहुत आयेगा, B .P बढ़ जायेगा १ 
  • दिल और दिमाग का संतुलन बिगड़ जायेगा , जातक घमंड बहुत करेगा, अहम् के कारण किसी की सलाह से काम नहीं करेगा १
  • वैवाहिक जीवन दुखी रहेगा, पति-पत्नी बीमार रहेंगे , संतान को भी कष्ट रहेगा 
  • सिर दर्द, आंखों की परेशानी, रक्त संबंधि परेशानियां, बाल झड़ने की समस्या आदि तंग करेंगे १ 
  • काम-धंधे कि शुरुआत अच्छी होगी लेकिन बाद में ठप्प पड़ जायेगा 
  • गैर-क़ानूनी काम करने की तरफ झुकाव होगा १ नैतिक मूल्यों का ह्रास होगा १ 
  • पितृ स्थान पर प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी 
  • अपने से वरिष्ठ कि बातों को नहीं मानेंगे, अपने को ही सही मानेंगे १ 
  • पढ़ाई में मन नहीं लगेगा , पूजा पाठ में मन नहीं लगेगा 
  • जातक हिंसक प्रवृति का हो जायेगा , कई बार तो जातक गुस्से में अपने आपको भी नुक्सान पहुंचा लेते हैं 
  • मुकदमे-बाजी में फसेंगे, जमीन जायदाद का नुकसान होगा १ घर में निरर्थक कलह होगी १ 
उपाय:- उपरोक्त लक्षण दिखाई दें तो निम्न उपाय करें :-
  • ताकत वाली चीजें खांए, ठंडी,खट्टी चीजों से बचें १ गुस्से व झूठे अहम् से बचें १ बड़ों तथा माता-पिता का आदर करें १ 
  • कबूतरों को ज्वार खिलाएं, लाल, हरे, काले, नीले रंग से परहेज करें १ लाल मसूर की दाल खाना छोड़कर दान करें, गुड-सौंफ का सेवन करें, चीनी कम खाएं १ गिलोय की डंडी का टुकड़ा सफ़ेद धागे में बांध कर गले में धारण करें शारीर में ताकत आएगी और आत्मबल बढ़ेगा 
  • गोमती चक्र को ताम्बे में जड़वाकर गले या हाथ में पहनें १ मछली को दाना दें १ 
  • मंगल बहुत ज्यादा कुपित हो तो अनंतमूल कि जड़ गले में धारण करें १ गायत्री मन्त्र का यज्ञ करें १  
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Thursday, 30 January 2014

कैसे करें भोजन द्वारा ग्रह मजबूत

हम अपने आहार द्वारा भी ग्रहों को बल दे सकते हैं जैसे:- 

सूर्य :- सूर्य अगर मजबूत हो तो हमें मान- सम्मान, सुख-समृध्धि मिलती  है १ पिता का संग और सहयोग मिलता है १ अगर सूर्य कमजोर हो तो मुंह में थूक  ज्यादा बनेगा, पिता से नहीं बनेगी, सरकार  से परेशानी रहेगी १ सूर्य को बल देने के लिए चौकर वाले आटे कि रोटी खाएं , फल अधिक खाएं १ निहार मुंह गुड़ खाकर ऊपर से पानी पियें १ ग्वारपाठा का  सेवन करें १
चन्द्र :- माँ से दूरी बन जाये, जातक वहमी हो जाये, हाथ-पैर शिथिल पड़  जाएँ, चेहरे पर दाग-धब्बे पड़  जाएँ, मन में उमंग ख़ुशी न रहे तो समझें  चंदरमा खराब है १ चंद्रमा को ठीक करने के लिए दूध में हरी इलायची डालकर पियें १ खीर खाएं, केवडा डालकर १ चांदी के गिलास में पानी, दूध पियें १ लीची, पनीर, मखाने की खीर खाने से चन्द्र मजबूत  होता है १ जंक फ़ूड खाने से बचें क्योंकि इससे राहू एक्टिव हो जाता है १
मंगल :- जल्दी थकना, भाई-बहन से झगड़ा, चोट ज्यादा लगे तो समझ लें मंगल ख़राब हैं १ पपीता, चुकंदर खाने से मंगल मजबूत होता है १ मीठी लस्सी पियें गुड़ डालकर  मंगल मजबूत होगा १ लौकी, तौरी की  सब्जी खाएं १
बुध :- बुध कमजोर होगा तो दांत ख़राब होंगे, जातक अपने विचारों को अभिव्यक्त नहीं कर पायेगा, स्किन (त्वचा) रोग हो जाते हैं , बुद्धि ख़राब हो जाती है १ इसके लिए हरी  मिर्च,आंवला, हरी सब्जियों का सेवन करें १ तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पियें १
गुरु:- गुरु ख़राब हो तो जातक मोटा होता चला जाता है,    रिश्ते बिगड़ जाते है १  लीवर ख़राब हो जाता है १ इसके लिए  अनार खाएं १ गन्ना, गुड खाएं १ सूर्य सम्मान देता है लेकिन गुरु उस सम्मान को बनाये रखता है
इसलिए गुरु को मजबूत रखें १ हल्दी, केला के सेवन से भी गुरु मजबूत होता है
शुक्र :- शुक्र ख़राब हो तो तन,मन,धन   सब पर ग्रहण लग जाता है १ धन, वैभव,ऐश्वर्य सभी कुछ शुक्र अच्छा हो तो ही मिलता है १ अतः शुक्र को बली रखने के लिए साबूदाने की खीर खाएं, पनीर खाएं, छेना तथा छेने कि मिठाइयां, दूध पछाड़कर उस पानी को पीने से भी शुक्र मजबूत होता है
शनि :- व्यवहारिक जीवन में कुछ पाना है तो शनि मजबूत होना चाहिए १ उड़द, राजमा, लॉन्ग डालकर चावल खाएं १ राइ का पानी पीयें शनि मजबूत होगा
राहु/केतु :- राहु शनि के सामान है और केतु मंगल के समान अतः शनि मंगल कि चीजें खानी चाहिए

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Friday, 24 January 2014

क्यों होता है मानसिक रोग (सिजोफ्रेनिया)/पर्सनालिटी डिसऑर्डर

  

इस रोग की  शुरुआत तभी हो जाती है जब बच्चा गर्भ में  होता है १ जो महिलाएं गर्भावस्था के समय डिप्रेशन तथा तनाव में रहती हैं या डर  और गुस्से में रहती हैं,  दुखी रहती हैं तो बच्चा इस रोग को जन्म से ही लेकर पैदा होता  है १  कुछ अन्य कारण हैं इस रोग के जो इस प्रकार हैं :-


  • गुस्से में उन्माद कि स्थिति तक पहुँच जाना ही सिजोफ्रेनिया है १ बच्चे के जन्म से  पांच वर्ष तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है १ इन पांच वर्षों में बच्चे के आस-पास का वातावरण, घर का माहौल, माता-पिता की मानसिक स्थिति, आर्थिक स्थिति आदि का बच्चे पर बहुत प्रभाव पड़ता है १ अतः एक स्वस्थ वातावरण बच्चे को मिले इस बात का   खास ख्याल रखना चाहिए १
  • सिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है १ इसमें रोगी कल्पनाओं में ही विचरण करने लगता है १  लोगों से  डरेगा, एक कोने में बैठा रहेगा, कई बार वॉयलेंट भी हो जाता है १ कई बार  रोगी बार-बार हाथ धोएगा, किसी को पसंद नहीं करता तो उसे देखकर वॉयलेंट हो जायेगा इत्यादि  १ 
  • अति महत्वकांक्षी  व्यक्ति  भी जब अपना लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता तो इस बीमारी का शिकार हो  जाता है १ 
  • ज्योतिषीय विचार करें तो जिस बच्चे का चन्द्र पीड़ित होता है तो बडा  होकर वो बच्चा इस रोग का शिकार  जल्दी होता है १ 
  • राहु,शनि , केतु अगर जन्म चन्द्र को पीड़ित करे तो जातक इस बीमारी से पीड़ित होता है १ जातक बहुत जल्दी डिप्रेशन में आ जाता है १ या तो वह चुप हो जाता है या फिर वॉयलेंट हो जाता है १ 
  • जब राहु केतु कि दशान्तर्दशा आती है या चन्द्र की  दशान्तर्दशा आती है तो वो दशा जातक की बीमारी को बढ़ा देती है १ 
उपाय 
  • बच्चा नकारात्मक, गुस्सैल हो जाये, कल्पनाओं में खोया रहे तो  बच्चे का चंदरमा बली करें १ इसके लिए चाँदी के गिलास में दूध/पानी पिलायें, गंगाजल का प्रयोग करें, माँ के सानिध्य में अधिक से अधिक रखें, मैडिटेशन कराएं १ 
  • रोगी को समाज से जोड़ें १ सुख-दुःख में शामिल करे १ रोगी से ज्यादा  से ज्यादा  बात करें १ समारोहों में ले जाएँ १ घर का माहौल खुशनुमा रखें १  
  • लाल रंग के वस्त्र, लाल मिर्च, तला हुआ खाना, मिच-मसाले वाला खाना न दें १ 
  • पूर्णमासी की  रात को छोटी इलायची डालकर  खीर बनाकर चाँद की रौशनी में रखें और सुबह खिलाएं
  • सिजोफ्रेनिया के रोगी को ठीक होने में वक़्त लगता है अतः  धैर्य रखें क्योंकि ऐसा रोगी खुद को रोगी नहीं मानता १ ऐसे रोगी को आपका प्यार ही ठीक कर सकता है १ 
  • सबसे जरुरी है जब बच्चा माँ के गर्भ में हो तो माँ के खान-पान के साथ-साथ ये भी ध्यान रखें कि वो खूब खुश रहे १ किसी तरह का मानसिक दबाव उस पर न रहे तभी एक  स्वस्थ बच्चा पैदा होगा क्योंकि ये बच्चे ही तो सभ्य समाज के निर्माता हैं 
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Saturday, 18 January 2014

शादी के बाद घर में सुख समृद्धि आएगी या नहीं - कुछ सूत्र


कुंडली का मिलान  करने के बाद ये भी देखना चाहिए कि विवाह के बाद वर/वधु कि जिंदगी में कितनी सुख समृद्धि, यश कीर्ति आयेगी १ कुछ सूत्र इस प्रकार हैं :-
  • वर/वधु की कुंडली में गुरु और मंगल समसप्तक नहीं होने चाहिए  अर्थात जहाँ लड़के कि कुंडली में गुरु/मंगल हों उससे सप्तम भाव में लड़की कि कुंडली में गुरु मंगल नहीं होने चाहिए 
  • वर/वधु की कुंडली में शनि एक दूसरे की कुंडली के लग्न, सप्तम भाव या सप्तमेश को दृष्ट करे तो इनकी जिंदगी में दरिद्रता आएगी 
  • लड़का/लड़की कि कुंडली में शनि/शुक्र 6 /8  और 2 /12  में नहीं होना चाहिए १ इस विवाह से ख़ुशी नहीं मिलेगी १ अगर इनमें से कोई ग्रह स्वगृही या उच्च का हो तो दोष का शमन हो जायेगा 
  • लड़का/लड़की दोनों की कुंडली में शनि चन्द्र दूसरे से 2 /12 , 6 /8  में नहीं होना चाहिए १ 
  • दोनों कि कुंडली में शनि राहु का समबन्ध नहीं होना चाहिए अगर ऐसा है तो दोनों  एस दूसरे के प्रति नफरत पैदा करेंगे १ 
  • लड़के कि कुंडली का सप्तमेश लड़की की कुंडली के 6 ,8 ,12 भाव में चला जाये या इसका उल्टा हो जाये तो शुभ नहीं है १ लड़की कि कुंडली का सप्तमेश 6 ,8 ,12 में चला जाये तो ज्यादा  दोष नहीं है लेकिन अगर लड़के का हो तो खराब है १ शास्त्रों में कहा गया है कि इससे लड़के की उम्र कम होती  है
  • पंचम भाव पर राहु हो, पंचमेश नीच, अस्त तो ये मिलन शुभ नहीं है वंश वृद्धि नहीं होती १ लड़की कि कुंडली में हो तो तभी मिलाएं जब लड़के की कुंडली में पंचम भाव बलिष्ट हो १ 
  • लड़की की  कुंडली में जहाँ मंगल हो  वहाँ  या वहाँ से केंद्र में लड़के की कुंडली का शुक्र हो तो दोनों बहुत अच्छा दाम्पत्य जीवन जीते हैं १ हर प्रकार कि खुशियां प्राप्त होती है 
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर पद रही हो तो ऐसा जातक जीवन भर अपने जीवनसाथी को प्यार करता रहेगा १ 
  • लड़के कि कुंडली के सप्तम भाव पर और लड़की की कुंडली के अष्टम भाव पर मंगल शुक्र की युति अपने आप में बहुत बड़ा दोष है १ ये व्यभिचारी होते है इनकी कामुकता कभी शांत नहीं होती १ 
  • अगर अष्टमेश 6 ,8 ,12 पर हो, नीच, अस्त हो तो ऐसी कुंडली से मिलान करना चाहिए जिसकी कुंडली में 1 ,7 ,8 भाव बली  हो १ 
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Friday, 17 January 2014

विवाह के विषय में महत्वपूर्ण सूत्र

विवाह के विषय में महत्वपूर्ण सूत्र 

  • माथे पर दोनों साइड से बाल उड़ने लगें तो ३० वर्ष कि  उम्र में शादी  है १ 
  • मंगल प्रथम,  सप्तम भाव में  हो  तो विवाह में विलम्ब होता है 
  • शनि मंगल तथा केतु की युति हो तो वैवाहिक जीवन में वैमनस्य रहता  है - शनि केतु का उपाय करें 
  • माथा न छोटा हो न ऊँचा तो विवाह उत्तम होगा और जीवन साथी भी मोहक होगा 
  • हमारे बाल भविष्य का आइना है - 22 -25  वर्ष कि उम्र में बाल उड़ने लगें तो विवाह 28  वर्ष के बाद होगा
  • मांग (स्त्रियों में )   दोनों साइड से बाल हलके होने लगें तो विवाह देर से होगा और वैवाहिक सुख में कमी होगी १ मंगल गुरु का उपाय करें १ अहंकार, इगो को दूर करें १ अपनी वाणी से किसी को आहत  न करें , उपाय के तौर पर गरीब कन्याओं को शुक्ल पक्ष की अस्टमी को भोजन कराएं 
  • गुरु के उपाय के लिए ईस्वर  का ध्यान करें मंदिर में  केले का पेड़ लगाकर उसे सींचें 
  • लम्बे घने  बाल अगर झड़ने लगें तो मंगल खराब हैं अतः ताम्बे का छल्ला अनामिका में पहनें 
  • बालों में रुसी हो तो राहु ख़राब है १ राहु चपलता  है जो वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नहीं है अतः राहु को ठीक करने के लिए चींटियों को आटा डालें, मछलियों को आटे कि गोलियां बनाकर खिलाएं 
  • बाल सुनहरे हैं, सॉफ्ट और चमकीले हों तो वैवाहिक जीवन सुखद , सम्पूर्ण सौभाग्य प्राप्त होगा 
  • घुंघराले बाल हों, माथा ऊँचा हो तो बहुत ही अच्छा भाग्य होता है १ 
  • शादी नहीं हो रही हो तो केले का पेड़ लगाएं, सींचे और केले का दान करें 
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