Tuesday, 12 July 2016

Power of Symbols in Vastu Remedies

Power of Symbols in Vastu Remedies.

Symbols are powerful and have their own language and effects.  they have been old friends of mankind, guiding and supporting the process of human evolution.  Man possessed this knowledge from early times. Symbols are an integral part of human life and mind, even today.

When placed in a building/house, a symbol is loaded with meaning.  It says something to our subconscious mind, which then begins to act accordingly.  This activates the natural earth powers lead us towards achievement of our goals. Thus, by placing an appropriate symbol in the appropriate place related to our wish, we can achieve our goal and fulfill our desires.

Here are some symbols by using them we can ensure good health, abundant wealth and prosperity:-

1.Symbol of Kuberji

Kuber is the Lord of wealth and guardian of all the treasures of the universe. Kuber is the Guardian of North Direction. Place a statue of Kuber on a table or on a shelf in the North Zone of building. It helping you to achieve bliss and abundant wealth, creates wealth and fortune.

2. Symbol of Brass/copper Sun

The Sun is a powerful remedy and is hung on the Eastern wall of building at a height of 7 feet from the floor. The Sun is also responsible for developing relationships with influential people. It helps you to use your wisdom and skill to build relations that spread you glory, name and reputation all around and enable power, political and social connections.

3. Ashoka Pillar

Ashoka Pillar gives Government Support. The Ashoka pillar also yields exceptional results in areas such as Govt favours, promotions and recognition. Place on a table  in east zone of the building. This remedy helps those whose work or progress is slow due to the sluggish working of a Govt. organisations.

4.  Tortoise

The tortoise has been extensively used in the ancient times as a Vastu remedy. For success and benefits place a tortoise in the West Zone.  the tortoise not only save you from unnecessary activities and futile attempts but also gives you protection. Place the tortoise  on the floor with its fact pointing towards North.This remedy enables you to overcome all types of adverse situations.

Inspite of above symbols, there are numbers of symbol, by placing  in appropriate Vastu zone we can fulfill our desires. We can eradicate problems from our lives and get healthier, wealthier, prosperous, having more love and joy in our life.

To know about more symbols you may contact me at my mail ID at jyotishsanjeevani@gmail.com


Monday, 17 August 2015

बच्चे का जन्म किस पाये में

बच्चे का जन्म किस पाये में

किसी परिवार में बच्चे का जन्म होना  परिवार में वंश वृद्धि का परिचायक है १ बच्चे के जन्म के साथ ही बच्चे की स्वस्थता जानने के  उपरांत सबसे पहले सबका  यही प्रश्न होता है कि बच्चे का जन्म किस पाये में हुआ है १ शास्त्रों में मुख्य रूप से चार पायों का वर्णन मिलता है :-
1.  चांदी का पाया   2.  ताँबे का पाया  3.  सोने का पाया  4.  लोहे का पाया
  हर पाये में जन्मे बालक का शुभाशुभ फल भिन्न होता है  १

बालक/बालिका का जन्म किस पाये में हुआ है ये निम्न विधि से आसानी से जाना जा सकता है १
जन्म पत्रिका में लग्न से चन्द्रमा किस भाव में है  ये देखा जाता है जैसे :-

  • जन्म लग्न से  चन्द्रमा यदि  पहले, छठे या ग्यारहवें  भाव में हो तो बच्चे का जन्म सोने के पाये में हुआ है १ 
  • यदि दो, पांच या नौवें  भाव में  चन्द्रमा है तो बच्चे का जन्म चाँदी के पाये में  हुआ है १  
  • जन्म लग्न से  चन्द्रमा यदि  तीसरे , सातवें  या दसवें   भाव में हो तो बच्चे का जन्म ताम्बे  के पाये में हुआ है १ 
  • जन्म लग्न से  चन्द्रमा यदि  चौथे, आठवें  या बारहवें   भाव में हो तो बच्चे का जन्म लोहे  के पाये में हुआ है १ 
इस तरीके से कुंडली में देखकर आसानी से बताया जा सकता है की बच्चे का जन्म किस पाये में हुआ है 

अब प्रश्न आता है कि किस पाये का क्या फल होता है तो अगर बच्चा चांदी के पाये में हुआ है तो बच्चा परिवार में सुख समृद्धि लेकर आता है १ बच्चा सुखों में पलता है १ परिवार का मान सम्मान में वृद्धि होती है १ माता पिता की तरक्की होती है १ अगर बच्चा सोने के पाये में पैदा हुआ है तो ज्यादा शुभ नहीं है १ ऐसा बच्चा रोगी होता है तथा बचपन में ही इस बच्चे की दवाये शुरू हो जाती हैं १ परिवार की शुखशान्ति भंग हो जाती है १ पिता को शत्रुओं का सामना करना पड़ता है और धन हानि भी हो सकती है १ इसकी शांति के लिए बच्चे के वजन के बराबर  गेहू का दान करना चाहिए १ अगर संपन्न हो तो सोने का दान भी किया जा सकता है १ ताम्बे के पाये में उत्पन्न बच्चा पिता के व्यापार  में वृद्धि और सुखसमृद्धि लेकर आता है १ लोहे के पाये में पैदा हुआ बच्चा परिवार के लिए भारी होता है १ बच्चा रोगी रहता है १ पिता के लिए बच्चा विशेषतया भारी होता है १ परिवार में कोई शोकप्रद घटना होती है १ लोहे के पाये में बच्चे का जन्म हो तो शास्त्रानुसार ग्रह शांति अवश्य करवानी चाहिए १ 

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Wednesday, 5 August 2015

श्रावण मास में शिव आराधना का महत्व

श्रावण मास में शिव आराधना  का महत्व
       वेदांत दर्शनों और इतिहास ग्रंथों में शिवजी के पारब्रह्म तत्व की विवेचना की गई है १ वेदमंत्रों में भी शिव की संस्तुति एकादश अनुवाकों  में की गई है जो रुद्राध्यायों  के  नाम से प्रसिद्ध है १  भगवान शिव शांत हैं लेकिन उनके  रूद्र  अशांत हैं १   रुद्रों की संख्या ग्यारह है और हनुमानजी ग्यारहवें रूद्र के अवतार माने जाते हैं १ ऋग्वेद में आये उदाहरणों से स्पष्ट है कि रुद्रों को सामान्यतः  आंधी तूफ़ान का देवता माना जाता है १ जब ज्येष्ठ और आषाढ़ मास में प्रचंड गर्मी पड़ती है और पृथ्वी साक्षात  अग्निकुंड बन जाती है तब पृथ्वी पर रुद्रों का साम्राज्य व्याप्त होता है १  इन रुद्रों की प्रसन्नता के लिए और इनके क्रोध से रक्षा के लिए "रुद्राभिषेक "  किया जाता है १ श्रावण  मास में दूध, घी, शहद, दही और गंगाजल से शिवाभिषेक करने से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है १

श्रावण व भाद्रपद में वर्षा ऋतु  आ जाती है , वायुमंडल में शीतलता आ जाती है, गर्म हवा अर्थात रुद्रों का प्रभाव कम हो जाता है और आर्द्र हवा  अर्थात शिव तत्व  का प्रभाव बढ़ने लगता है १ शिव तत्व भोले  स्वभाव  और शीघ्र प्रसन्न होकर वरदान देने का प्रतीक है १ श्रावण और भाद्रपद में सूर्य कर्क राशि (जल राशि ) में गोचर करता है इसलिए भोले शंकर  का गंगाजल से अभिषेक करने का विधान है १

शतपथ ब्राह्मण में उल्लेख  कि :-
"यज्ञेन वै देवादिवमुपोद,  क्रामन्नाथ योअयम् देवः पशुनामिष्टे १
स इहा हियत तस्माद वास्तव्य, इत्याहुर्वास्तौ हि  तदहियत ११ "

अर्थात रुद्रों के क्रूर स्वाभाव के कारण उन्हें देवकोटि  से अलग रखा गया है १ जब देवताओं ने स्वर्ग प्राप्त किया तो रूद्र रूद्र पृथ्वी पर ही रह गए थे १ वैदिक यज्ञों में देवताओं को आहुति देने के बाद जो अपशिष्ट बच जाती थी जिसे रूद्र भाग कहते हैं उस पर रुद्रों का अधिकार मिला और उससे रूद्र प्रसन्न हो जाते हैं १ प्राचीन काल से ही ज्येष्ठ व आषाढ़ मास में वर्षा की कामना से बड़े बड़े यज्ञ किये  हैं जिनसे रूद्र तृप्त हो जाते हैं और तभी शिव तत्व का उदय  होता है १ मतलब यज्ञ से रूद्र प्रसन्न होने से ही वर्षाकाल में वर्षा होती है १

भगवान शंकर सर्वसमर्थ हैं, आशुतोष हैं, सब कुछ प्रदान कर सकते हैं १ रोग से मुक्ति के लिए, आयु वृद्धि  के लिए, चिंता मुक्ति के लिए, सुख-शांति के लिए, कुंआरी कन्यायें  मनोनुकूल वर  की कामना से, सुहागिन स्त्रियां पति-पुत्र की दीर्घायु के लिए और अनेक कामनाओं की पूर्ति के लिए  शिवजी की आराधना  करती हैं १ इस श्रावण मास में की गई शिव पूजा का  पुण्य वर्ष भर तक की गई पूजा के समान है १ प्रतिदिन शिव  आराधना शुभ होती है  परन्तु जो प्रतिदिन नहीं कर सकते वे केवल श्रावण मास में एक  माह तक नियमित पूजा करें तो भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है १

रूद्र और शिव, महाकाल महादेव के ही दो रूप हैं जिसमे एक उष्ण है और एक शीतल १
"शिवोअह्म शिवोअह्म  शिवः  केवलोअहम शिवमस्तु"

कामना प्राप्ति के लिए शिवाराधना की विधि निम्न प्रकार हैं:-

  • भगवान शिव को  पायस (खीर) अर्पित  करने से राज सम्मान प्राप्त होता है 
  • कमल पुष्प से भगवान शिव की आराधना करने से ऐश्वर्य में वृद्धि होती है 
  • मधु एवं घी मिश्रित पायस भगवान शिव पर अर्पित करने से चमत्कारिक रूप से धन-सम्पदा की प्राप्ति होती है 
  • जो लोग लक्ष्मी की कामना करते हैं उन्हें बिल्व पत्रों एवं शंखपुष्पी के पुष्पों से  भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए 
  • अर्क वृक्ष के पुष्पों, श्वेतोत्पल तथा जपाकुसुम के पुष्पों से भगवान शिव की आराधना करने से शत्रुओं का नाश होता है और स्वयश की वृद्धि होती है १ 
  • श्रावण  में जल द्वारा सहस्रघटाभिषेक  और "रुद्राष्टाध्यायी" का पाठ करने से भी समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है. 
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Tuesday, 21 July 2015

नित्य पूजा पाठ के नियम

नित्य पूजा पाठ के नियम 

कई बार लोग प्रश्न करते हैं कि घर में नियमित पूजा-पाठ किस तरह की जाये  और किस भगवान की पूजा की जाये १  शुद्ध आसन पर बैठकर प्रातः और संध्या को पूजा अर्चना करने को नित्य नियम कहते हैं १ पाठ का क्रम इस तरह से होना चाहिए :-
 1. सर्वप्रथम  गणेश जी की उपासना:-  विघ्नों को दूर करने के लिए
2 . सूर्य भगवान की उपासना:- स्वास्थ्य के लिए
3 . माँ भगवती की उपासना :- शक्ति के लिए
4  . भगवान शंकर की उपासना:- भक्ति के लिए
5 . उसके बाद अपने कुल देवता, इष्ट देवता और पितृ देवताओं की उपासना करनी चाहिए

कुछ अनुभूत नित्य नियम

1. नारायण कवच या हनुमान चालीसा एक सर्वविदित और लोकप्रिय उपाय है १ इसके नित्य  कम से कम तीन बार पाठ करने से हर तरह की बाधाओं का निवारण हो जाता है और अटके हुए काम बन जाते   हैं १

२. दरिद्रता  के नाश के लिए माँ लक्ष्मी के श्रीसूक्त या लिंगाष्टक का पाठ करना चाहिए १
३. रोग से मुक्ति पाने के लिए और ऋण से  पाने   के  लिए  गजेन्द्र मोक्ष और नवग्रह स्तुति नित्य नियम से करना चाहिए.

४. यदि कोई व्यक्ति प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार कराता है तो उसे अनंत कोटि फल प्राप्त होते हैं
५. मंदिर में आरती के लिए धुप दीप की व्यवस्था करता है तो उसे यश कीर्ति की प्राप्ति होती है १
६. अगर गाय के लिए चारे पानी की व्यवस्था करता है, पक्षियों को चूगा डालता है तो उसके घर से सभी अमंगल दूर   हैं.

७.  जो लोग देवताओं को भोग लगाकर ब्राह्मणों और साधुओं को प्रसाद वितरण करते  है   उनके जन्म जन्मान्तर के कष्टों और  पापों का नाश होता है।
 ८. यदि कोई व्यक्ति विद्यालय या अस्पताल का निर्माण कराता है और उसकी सेवा करता है तो उसको सद्बुद्धि और भगवत्कृपा मिलती है


लेकिन अपने नाम प्रचार के लिए या स्वार्थ पूर्ति के लिए जो उपरोक्त कार्य  करता है, अहंकार करता है तो सभी कर्म निष्फल हो जाते हैं १

अधिक जानकारी के लिए और ज्योतिषीय परामर्श के लिए संपर्क करें :-  jyotishsanjeevani@gmail.com.












Tuesday, 14 July 2015

Jupiter's Transit in Leo

Continued from previous post.....

LIBRA ASCENDANT

When Jupiter is strong in the natal chart and is strong in transit it will bless the native with happiness through new endeavors, additional financial gains and recognition.  If weak, one lacks resources to put one's plans into action, new initiatives will not give expected returns. Some conflicts and health concerns can be seen between the middle of March 2016 to the middle of April 2016.

SCORPIO ASCENDANT

If Jupiter is strong in the birth chart and in transit, it will bless the native with happiness.  It blesses the natives with promotion, recognition and social status. If weak, native faces some challenges and stress on health and causes problems in relationships.Some conflicts and health concerns can be seen between the middle of April 2016 to the middle of May 2016.

SAGITTARIUS ASCENDANT

When Jupiter is strong in the birth chart and in transit it will bless the native with happiness.  It blesses the natives with recognition, happiness through relationships, progeny, parents and enhances social status.  When weak Some conflicts and health concerns can be seen between the middle of May 2016 to the middle of June 2016.

CAPRICORN ASCENDANT

Jupiter causes loss of comforts and additional expenses.  When afflicting it causes stress in relationships, problems to parents and causes financial worries/setbacks.  Some conflicts and health concerns can be seen between the middle of June 2016  to the middle of July 2016.

AQUARIUS ASCENDANT

When Jupiter is strong in the birth chart and in transit also it will bless the native with happiness.  It brings in new business opportunities, additional financial gains, success to children and happiness for those living in foreign lands.  When weak it causes stress on income, education of children and helath problems to self and spouse.  Some conflicts and health concerns can be seen between the middle of July 2016 to the middle of August 2016.

PISCES ASCENDANT

When Jupiter is in Leo in transit, it causes stress in job and in the matters of wealth, status, living comforts and recognition.  It causes disputes in business/professional matters. Some conflicts and health concerns can be seen between the middle of August 2016 to the middle of Sep 2016.

When Jupiter is strong in transit and strong in the natal chart, it is very helpful and blesses with long term gains.

The benefic impacts are enhanced by strengthened their natal weak planets including Jupiter by propitiatory remedies according various ascendant wise.

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Monday, 13 July 2015

Jupiter's transit in Leo

Jupiter's transit in Leo

Jupiter will transit in Leo on 14th   July 2015 and will stay there util 12th August 2016.  Jupiter's impact for various ascending signs is as given here under :-

ARIES ASCENDANT

When Jupiter is strong in the birth chart and is strong in transit it will bless the native with happiness, blessed with child. The native will get additional income and visiting religious places.  The child may bring happiness.  Female natives are likely  to be blessed with marriage.  His/her father may have good times and social recognition.  Some conflicts and health concerns can be seen between mid sep. to the end of Oct.

TAURUS ASCENDANT

Strong Jupiter in birth chart and strong in transit, it will bless the native's father/husband with financial benefits and good health.  If afflicting it causes stress in relationship, obstacles in business, stress for the assets and health problems.    Some conflicts and health concerns can be seen between mid Oct. to the end of Nov.

GEMINI ASCENDANT

Strong Jupiter in natal chart and in transit, it will bless the native with happiness in relationship, stay in foreign lands, new business opportunities and increased income.  If it is weak, it makes one regarding health and relationship problems.   Some conflicts and health concerns can be seen between mid Nov. to the end of Dec.

CANCER ASCENDANT

When Jupiter is strong in the natal chart and transit and unafflicting it gives good health and satisfactory Finance. When weak and afflicting, it causes problems relating to disputes in professional matters, relationship matter and status. It causes health problem and gives financial stress.   Some conflicts and health concerns can be seen between mid Dec. to the end of Jan.

LEO ASCENDANT

Strong Jupiter in Natal and transit will bless the native with happiness in matters of prominence, higher education, birth of children and  rise fortune and additional financial gains. One is blessed with living comforts. If weak it causes concerns for family, wealth and children.  During the months January and February, the Leo person may experience health concerns.

VIRGO ASCENDANT

Jupiter in Leo may cause some concerns and the person may have to visit distant places.  The stress may include matters pertaining to assets, mental peace and comforts of living.  When weak in the birth chart, it indicates stress on domestic peace, assets and difficulties for the children.  Some conflicts and health concerns can be seen between mid Feb to the mid of March.

to be continued to the next post.....

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Tuesday, 7 July 2015

Identifying Health Problems through astrology

Identifying Health Problems through astrology

Almost all other problems, the problem of health is the one which affects a person both physically ad mentally.  In contrast to the medical science, Vedic Astrology offers human beings the advantage of advance knowledge of diseases from which a native may suffer during the course of his/her life.  Again in contrast to the medical sciences  it is Vedic Astrology which not only forewarns the the native for the impending diseases but also helps in avoiding the completely or partially by adopting suitable astral remedies, food habits, etc.

In this context the question arise how to diagnose the diseases. The houses which are weak/afflicted or weak and afflicted planets give diseases related with the significations by them.  For example when the prime significaters of health and the Sun (Being Aarogya karka)  and the first and sixth house are afflicted by the conjunction or aspect of malefic planets and they are devoid of the aspect or conjunction of benefice planets, the native has weak dasha period of the significator of health and the sub-periods of the afflicting planets the significations of diseases are aggravated.

The strength of the planets should also be seen in the relevant Divisional Chart.  Debilitation, bad placement afflicted by malefic planets makes the planet weak.  The planets give us hints. For example, weak or afflicted Mercury, being significator of health, may give suffering by way of nervous breakdown, skin infections or breathing problems etc.

In case of natal afflictions with longer Mahadasha period like Venus, Saturn, Rahu, Jupiter the sufferings persist for a long time. In case of transit afflictions by fast moving planets like the Moon, the Sun, Mercury, Venus, Mars and Ketu,  relief is indicated early.

Medicine treats but jyotish remedies prevent.  The application of astrological remedial measures is always helpful in all aspects of life.  Astrology helps through predictions and astral remedies.

sanjeevani sharma

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Thursday, 2 July 2015

Horary Astrology (Prasna)

Horary Astrology (Prasna)

Generally, people ask for astrological help in the hour of distress.  Horary(Prasna) astrology is a very important part of astrology and is very useful.  In some cases, only the harary astrology is helpful. The horary means when we reply a question based on the horoscope/kundali prepared for the date and time when a person has approached for astrological help. Generally, the prasna chart is made when the person asking the question does not have a birth horoscope.

Horary astrology is very useful in timing of events and rectification of the birth charts. Even the astrological remedial measures prescribed according tot he ascendant of the prasna chart. It is very useful when:

i) The querent(Prsnakarta) does not have a birth chart,  to time return of missing persons, 
ii) To time recovery of patients, 
iii) To  predict recovery of stolen o misplaced items
iv) To predict solemnization of marriage
v) To predict success of new business ventures.

How to identify the answers to a horary question ? This is necessary to identify the correct planet/house to give proper advice.  For ex. if the sub-period lord or the ensuing sub-period lord is the lord of 3rd house or a planet placed in the 3rd house or a planet aspected by lord of the third house then the question may be related to a new venture signified by the concerned planet.

The only requirement for the success of the prasna astrology is that the querent(prashnkarta) approaches the astrologer without any prior fixed time for the sole purpose of a query.  If a telephonic call is made to fix up the appointment, then the time of the telephone call is noted for the prasna astrology while the actual meeting for the consultation may take place at the appointed time.

Sanjeevani Sharma

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Friday, 27 February 2015

General Fortune (Role of Jupiter)

General Fortune (Role of Jupiter)

Jupiter and the Sun when strong, indicate the overall happiness in a nativity  including elevation of the soul.  So to say, happiness and spiritual attainments in life are indicated by the position of Jupiter and the Sun in a nativity.

The Sun is the significator of father, status in life, vitality, soul and is secondary significator of male progeny.

Jupiter, the planet of "Divine Grace" is significator for all the good things in life.  it is the lord of the ninth sign of the zodiac and natural significator for bhagya (Fortune).  Its main significations are blessing one with auspiciousness, sons, wealth, good conduct, ministership and good health by giving a healthy liver which is the factory of human body for nourishment of all its parts. It also represents charitable disposition.

The learned Kalayana Verma in his book 'Saravali' stated that Jupiter rules auspiciousness, virtue, powess, preceptorship, deputation, gold, social position, gains, residence and sons.  Varahamihira in Brihat Jataka says that Jupiter represents wisdom and happiness.  It is moral and controls treasury.  Savavarth Chintamani, states that whenever in a nativity Jupiter is in fall, the native concerned is less virile, grieved and is in adversity, mean in conduct, dunce, bad end, penury,  serves others, bereft of auspiciousness, memory, purity etc. Experience shows that one is not only grieved but crosses the border of morality/wisdom  to achieve one's ends and becomes selfish and unsatisfied.  One is intemperate. Efforts made do not give desired results.  Both physical and mental  sufferings are caused to the nativity.  It is especially harmful in the case of  females as it is the significator of "husband" in a female nativity. Females post marital life depends on the position of Jupiter in her natal chart to a large extent.  The life may seems to be settled otherwise but during the main/sub period  of a weak and afflicted Jupiter, it suddenly becomes shattered or crumbled.  

The parents of the children born with weak and afflicted Jupiter will have to work very hard from the very beginning in forming the right attitude of kindness and helping/serving others.  Righteous conduct is the key to all remedial measures. 


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Monday, 5 January 2015

How to analyze nature & personalty of a person through horoscope

How to analyze nature & personalty of a person through horoscope

The personality of a person comprising of one's physical appearance, one's intelligence and power of understanding and expressing oneself, is analyzed from the first, third, second and fifth houses. Outward appearance comprises of his stature, complexion, features, proportion of limbs, etc. and is judged from  the ascendant. The personality as a whole is analysed with the help of the ascendant, its lord, planets associated with them and the other planets signifying various personality traits depending upon their strength.  

The planets rule different personality traits.  The Sun rules the quality of administering and leadership, the Moon rules the quality of understanding, hospitality and imagination, Mars rules the quality of controlling through physical and rational power, Mercury rules the qualities of discrimination, confidence and analysis, Jupiter rules the qualities of benevolence, kindness, sincerity, morality, discipline and generosity.  Venus  rules the qualities of etiquette, understandable disposition, c;in-ability, team spirit and benevolence. Saturn rules the traits of selfishness, insecurity, savings miserliness, cheating and it does not bother for morals in its pursuits. Rahu has qualities like a weak Saturn in addition to being manipulative and Ketu has characteristic of causing miseries to native so as materialism is concerned and turns one towards spirituality. 

The Planets influencing the ascendant give different physical personality traits covering stature, complexion, build and disposition. The Sun gives square body, majestic appearance, powerful speech, scanty hair, wheatish complexion and makes a person courageous and administrative capabilities. Moon gives fair complexion, pleasant speech, caring and easy going attitude and slim body. Mars gives a short stature and a stout body, red eyes, thin waist and reddish complexion. Mercury gives attractive features, well proportioned body, large eyes, witticism and fair complexion.  Jupiter gives golden complexion, tawny eyes, large body when found strong in the nativity. Venus gives a charming appearance, sharp and beautiful facial cuts, beautiful and large eyes, dark bright an slightly thick curly hair. Saturn gives an emaciated body, long stature, brown and sunken eyes, protruding teeth, dark complexion, prominent veins, wrinkles, long hands and face. When Saturn is weak it gives lazy and melancholic nature.

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Saturday, 3 January 2015

Marital Compatibility

Marital Compatibility

The marriage is an institution for continuance of mankind and it becomes bliss when the relationship is peaceful and successful. Cent percent marital bliss is a rare phenomenon. Marital  compatibility has to be seen on the following five aspects:-

Health: health is seen from the lord of ascendant, sixth house, sun, moon and their placement/strength/affliction.

Nature(temprament) is seen through the influence of the lord of 6th House, 2nd, 4th, 7th, 8th and 12th Houses and their lords.  If any of the lords of these houses is in the 6th house, the married life  might be inharmonious.

Sexual Urges are seen through the influence of the Mars, Rahu or the lords of 8th, 12th and any lords of houses related to marriage or ascendant stimulate the urges  if it influenced by satrun and ketu.

Longevity is seen through the strength  of lords of the 1st, 8th or 12 th houses and the significator of longevity- satrun.

Longivity of marital tie is seen through the 7th, 8th, 2nd and 12th house and their lords. All the houses are seen. Affliction harm relationships  and cause termination of marital tie through divorce or death.

Progeny matters are seen through the strength of lords of 5th house, 2nd house and planet Jupiter and Sun.

 In spite of above Jupiter for female and Venus for male should be analyzed for marriage purpose.

Advance astrological advice and astral remedies for the impending circumstances provide mental strength to the native for bearing the tensions and strains.

Not only the application of preventive astral remedies but also the election of a muhurta(auspicious time of marriage) for celebrating the marriage are very important or ensuring a long lasting marital relationship with comparatively more harmony.

For further details the interested readers may contact: jyotishsanjeevani@gmail.com.




Friday, 17 October 2014

विवाह के समय नक्षत्रों प्रभाव

विवाह दो दिलों या दो व्यक्तियों का संगम ही है अपितु  दो परिवारों  का भी संगम है १ विवाह के बाद दोनों परिवारों में सुख समृद्धि आये, परिवार में वृद्धि हो इसके लिए नक्षत्र से सबंधित कुछ विशेष  बातों का ध्यान रखें जैसे :-
  • विवाह के समय पर जो नक्षत्र चल रहा है वर /वधु के जन्म नक्षत्र से दूसरा, चौथा, छठा, आठवां  और नौवां हो तो दोनों भाग्यशाली और संपत्तिवान होते हैं १ 
  • विवाह  समय मघा नक्षत्र हो तो वर दीर्घायु होता है और वधु भी पुत्र-पौत्रों से युक्त होती है १ 
  • मृगशिरा नक्षत्र   में किया गया विवाह वर /वधु दोनों में आपसी सदभाव होता है और खुशहाल जिंदगी जीते हैं १ 
  • विवाह के समय हस्त नक्षत्र  हो तो  वर /वधु दोनों के लिए शुभ होता है १ परिवार में सुख समृद्धि, मान-सम्मान और यश की वृद्धि है १ 
  • स्वाति, अनुराधा नक्षत्र में क्या गया विवाह भी पति/पत्नी में आदर  भावना रहेगी और धन-धान्य की प्राप्ति होगी १ 
  • रेवती नक्षत्र में विवाह हो तो  पति/पत्नी में आपसी सौहार्द बना रहता है १ 
  • तीनों उत्तरा - उत्तराफाल्गुनी,उत्तराषाढ़ा और उत्तराभाद्रपद में किया गया विवाह सुख-समृद्धिदायक होता है १ पति /पत्नी को नौकरों का सुख मिलता है बच्चों के बच्चों को भी देखता है १ 
विवाह के समय त्याज्य योग
  • एक नक्षत्र जो अभी-अभी पाप राशि से निकला है या पाप राशि में प्रवेश करा रहा है तो  उस  राशि को विवाह के समय छोड़  चाहिए १ 
  • पक्ष के अंत में विवाह नहीं करना चाहिए (15 दिन का एक पक्ष होता है)
  • वर्षान्त में  विवाह परिवार में बर्बादी लेकर आता है १ 
  • जन्म नक्षत्र और जन्म नक्षत्र से 19 वां  नक्षत्र में विवह करना अशुभता लेकर आता है १ 
  • जन्म नक्षत्र से तीसरा नक्षत्र और सप्तम नक्षत्र में भी किया गया विवाह  दुर्भाग्य लाता  है 
  • जन्म नक्षत्र, जन्म मास और जन्म दिन को भी विवाह नहीं करना चाहिए ज्येष्ठा पुत्र हो तो कदापि नहीं 
  • उत्तरायण और दक्षिणायन के अंत में विवाह  से  भी पछतावे के सिवा कुछ नहीं मिलता १ 
  •  जन्म राशि से अष्टम चन्द्र हो तो ये शादी वैधव्य लेकर आती है १ 
  • पृष्ठोदय राशि में भी विवाह नहीं करना चाहिए १ 

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Thursday, 6 March 2014

गोचर ग्रहों का जीवन पर प्रभाव


ब्रह्माण्ड में ग्रह हमेशा गतिशील रहते हैं और परिभ्रमण करते हुए कभी मार्गी और कभी वक्र गति से 12 राशियों को प्रभावित करते हैं १ 2014 में गोचर ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन कैसा रहेगा इसका मोटा-मोटा आकलन मैं यहाँ प्रस्तुत कर रही हूँ क्योंकि जातक कि कुंडली का अध्ययन करके ही सम्पूर्ण प्रभाव बताया जा सकता है १

मार्च से जून 

गुरु मार्च में मार्गी होंगे और उच्च के होकर इस अवधि में वर्गोत्तम भी रहेंगे १ शुक्र ग्रह भी शुरू में उच्चाभिलाषी रहेेंगे और बाद में उच्च के रहेंगे १ ये बहुत अच्छा समय रहेगा १ लोगों के रुके हुए कम बनेंगे १ आलसी लोग भी कुछ करने की सोचेंगे १  लोगों के मन में नए-नए विचार आयेंगे और अगर मेहनत और ईमानदारी से काम करेंगे तो शुभ परिणाम अवश्य मिलेंगे १ इस समय पर ली गई नौकरी, किसी व्यवसाय का शुभारम्भ बहुत फायदा पहुंचाएगा १ इसलिए मार्च से जून के मध्य जो भी अवसर मिले उसको गंवाना नहीं  चाहिए १ साथ ही अगर कुण्डली को देखकर दशान्तर्दशा किस ग्रह की है ये जोड़कर देख लेना चाहिए १ अक्षय तृतीया के पास तो चंदरमा भी उच्च का होगा और सूर्य भी उच्च का होगा १ अतः ये समय बहुत ही शुभ फलदायी होगा १ ईश्वर पर पूर्ण विश्वास, लग्न और मेहनत से काम करेंगे तो सुख समृध्धि बनी रहेगी १ 

जून से सितम्बर 

जून के बाद गुरु उच्च के वर्गोत्तम रहेंगे  और सूर्य भी गुरु के साथ आकर बहुत ही शक्तिशाली योग शिवराज योग बनाएगा १ अपने आप में एस अदभुद योग है १ सभी कि जिंदगी का बहुत ही महत्वपूर्ण समय हैं १ पहले से भी अच्छी स्थिति होगी १ राहु भी तुला से कन्या राशि में गोचर करेंगे तो कन्या राशि पवित्र हो जायेगी १ राहु ने तुला राशि में रहते हुए बहुत तंग किया था अब इस से निजात मिलेगी १ लेकिन इस अवधि में मंगल तुला राशि में विचरण करते हुए लगभग 6 महीने यहाँ रहकर आपदाएं लाएगा लेकिन गुरु सूर्य और शुक्र की स्थिति उबार लेगी १ 

अक्टूबर से दिसम्बर 

इस समय लोगों को सबसे ज्यादा सतर्क रहना चाहिए १ मन में भ्रम कि स्थिति बनी रहेगी १ जिनकी  षष्ठेश और अष्टमेश कि दशा चल रही है उन्हें बहुत सावधान रहना  चाहिए १ नौकरी बदलना , पैसा इन्वेस्ट करना आदि में सावधानी बरतें १ नवम्बर में शनि वृश्चिक राशि में आ जायेगा १ शास्त्रानुसार वृश्चिक का शनि सबसे ज्यादा ख़राब रहता है क्योंकि यहीं पर शनि लगभग तीन साल रहता है १ शनि कर्क राशि के लिए कंटक शनि और मेष राशि के लिए अष्टम शनि प्रतिकूल प्रभाव प्रभाव डालेगा १ मेष राशि के लिए अष्टम शनि बहुत ही खराब है १ कुल मिलकर ये समयावधि शुभ नहीं है १ उपयुक परिहार अवश्य करा लें १ सावधान सतर्क रहें १ प्रभु की शरण में रहते हुए अपने कुलदेवता , इष्ट देवता की आराधना करें १ किसी नए काम को शुरू न करें १ सकरात्मक सोच रखें १ ईश्वर सब ठीक करेंगे १ 

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Monday, 3 February 2014

हमारे दाँत और ग्रहों का प्रभाव



जन्म नक्षत्र का सीधा प्रभाव दान्तों पर  पड़ता है जो हमारे व्यक्तित्व को बहुत प्रभावित करते हैं १
  • जिनके ऊपर के दांत थोड़े बड़े होते हैं वो जातक भागयशाली होते हैं  १ 
  • ऊपर वाले दांतों  के साथ  नीचे वाले दांत भी बड़े हो तो जातक ज्ञानी तो  होगा लेकिन उसका जीवन संघर्षमय रहेगा 
  • छोटे-छोटे दांत एक सीढ़ी कतार में हों तो जातक चंचल स्वाभाव का  होगा १ ऐसे जातक का बुद्ध मजबूत होने से जातक तीक्ष्ण बुद्धि का होगा १ 
  • ऊपर के दांत असामान्य रूप से बड़े हों तो ऐसे जातक का मंगल बहुत मजबूत होता है और जातक उच्च पद पर पहुँचता है 
  • दांत बड़े हों और उनमें गैप हो तो जातक मूल नक्षत्र से प्रभावित होता है १ ऐसा जातक 42 वर्ष कि उम्र तक संघर्ष करता है १ जातक गुस्से वाला भी होता है 
  • अगर किसी की   नीचे की दाढ़ जल्दी गिर जाए और शरीर भारी हो तो जातक का भाग्योदय 36 वर्ष की  उम्र में होता है
  • दांत पर दांत चढ़ जाये तो  शुक्र मजबूत होता है १ जातक को यश, वैभव, मान-सम्मान मिलता है१ चेहरे और वाणी में सौम्यता रहती है १ 
  • कोई दांत छोटा और कोई दांत बड़ा यानि बेतरतीब दांत हों तो जातक नैतिक होता है १
  • ऊपर के बीच के दो दांत बड़े हों तो जातक का जीवन बहुत कठिनाइयों से भरा होता है १ ऐसे जातक को गुरु मजबूत करना चाहिए १ 
  • सामने के दांत इतने बड़े हों कि वो होठों से भी आगे आ जाएँ तो जातक बुद्धिहीन होता है १ ऐसे में बुद्ध को मजबूत करने से उपाय करें १ 
  • jaw line समान हो न ज्यादा उभरी हो न ज्यादा अंदर हो तो जातक भाग्यशाली होता है१ अगर अंदर को दबी हुई है तो जातक अपनी बात को स्पष्ट रूप से किसी के सामने नहीं रख पायेगा और आत्मबल में कमी रहेगी १ 
  इस तरह से हम अपने दांतों की  बनावट के  अनुसार  अपने ग्रहों को जानकर उनका उपाय कर  सकते हैं १
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Saturday, 1 February 2014

जब मंगल करे अमंगल


       गोचर में मंगल 4 फरवरी को कन्या राशि में प्रवेश करेगा १ 26 मार्च से 20 मई तक वक्री रहेगा  १ उसके बाद 4 सितम्बर तक तुला राशि में ही संचरण करेगा १ इस तरह से 7 महीने तक मंगल तुला राशि में रहेगा १ कुंडली में जिनका मंगल बलिष्ट हो तो उनका शारीर पुष्ट होगा, भाई-बहन का सुख होगा, सुख-सम्पति , मकान  जमीन-जायदाद का लाभ होगा व्यापार नौकरी में तरक्की होगी लेकिन जिनका मंगल कुपित हो, वक्री हो,कमजोर हो तो ऐसे जातकों को विशेष ध्यान रखना होगा १ ऐसे जातकों को निम्न परेशानियां हो सकती हैं :-
  • जातक को गुस्सा बहुत आयेगा, B .P बढ़ जायेगा १ 
  • दिल और दिमाग का संतुलन बिगड़ जायेगा , जातक घमंड बहुत करेगा, अहम् के कारण किसी की सलाह से काम नहीं करेगा १
  • वैवाहिक जीवन दुखी रहेगा, पति-पत्नी बीमार रहेंगे , संतान को भी कष्ट रहेगा 
  • सिर दर्द, आंखों की परेशानी, रक्त संबंधि परेशानियां, बाल झड़ने की समस्या आदि तंग करेंगे १ 
  • काम-धंधे कि शुरुआत अच्छी होगी लेकिन बाद में ठप्प पड़ जायेगा 
  • गैर-क़ानूनी काम करने की तरफ झुकाव होगा १ नैतिक मूल्यों का ह्रास होगा १ 
  • पितृ स्थान पर प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी 
  • अपने से वरिष्ठ कि बातों को नहीं मानेंगे, अपने को ही सही मानेंगे १ 
  • पढ़ाई में मन नहीं लगेगा , पूजा पाठ में मन नहीं लगेगा 
  • जातक हिंसक प्रवृति का हो जायेगा , कई बार तो जातक गुस्से में अपने आपको भी नुक्सान पहुंचा लेते हैं 
  • मुकदमे-बाजी में फसेंगे, जमीन जायदाद का नुकसान होगा १ घर में निरर्थक कलह होगी १ 
उपाय:- उपरोक्त लक्षण दिखाई दें तो निम्न उपाय करें :-
  • ताकत वाली चीजें खांए, ठंडी,खट्टी चीजों से बचें १ गुस्से व झूठे अहम् से बचें १ बड़ों तथा माता-पिता का आदर करें १ 
  • कबूतरों को ज्वार खिलाएं, लाल, हरे, काले, नीले रंग से परहेज करें १ लाल मसूर की दाल खाना छोड़कर दान करें, गुड-सौंफ का सेवन करें, चीनी कम खाएं १ गिलोय की डंडी का टुकड़ा सफ़ेद धागे में बांध कर गले में धारण करें शारीर में ताकत आएगी और आत्मबल बढ़ेगा 
  • गोमती चक्र को ताम्बे में जड़वाकर गले या हाथ में पहनें १ मछली को दाना दें १ 
  • मंगल बहुत ज्यादा कुपित हो तो अनंतमूल कि जड़ गले में धारण करें १ गायत्री मन्त्र का यज्ञ करें १  
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Thursday, 30 January 2014

कैसे करें भोजन द्वारा ग्रह मजबूत

हम अपने आहार द्वारा भी ग्रहों को बल दे सकते हैं जैसे:- 

सूर्य :- सूर्य अगर मजबूत हो तो हमें मान- सम्मान, सुख-समृध्धि मिलती  है १ पिता का संग और सहयोग मिलता है १ अगर सूर्य कमजोर हो तो मुंह में थूक  ज्यादा बनेगा, पिता से नहीं बनेगी, सरकार  से परेशानी रहेगी १ सूर्य को बल देने के लिए चौकर वाले आटे कि रोटी खाएं , फल अधिक खाएं १ निहार मुंह गुड़ खाकर ऊपर से पानी पियें १ ग्वारपाठा का  सेवन करें १
चन्द्र :- माँ से दूरी बन जाये, जातक वहमी हो जाये, हाथ-पैर शिथिल पड़  जाएँ, चेहरे पर दाग-धब्बे पड़  जाएँ, मन में उमंग ख़ुशी न रहे तो समझें  चंदरमा खराब है १ चंद्रमा को ठीक करने के लिए दूध में हरी इलायची डालकर पियें १ खीर खाएं, केवडा डालकर १ चांदी के गिलास में पानी, दूध पियें १ लीची, पनीर, मखाने की खीर खाने से चन्द्र मजबूत  होता है १ जंक फ़ूड खाने से बचें क्योंकि इससे राहू एक्टिव हो जाता है १
मंगल :- जल्दी थकना, भाई-बहन से झगड़ा, चोट ज्यादा लगे तो समझ लें मंगल ख़राब हैं १ पपीता, चुकंदर खाने से मंगल मजबूत होता है १ मीठी लस्सी पियें गुड़ डालकर  मंगल मजबूत होगा १ लौकी, तौरी की  सब्जी खाएं १
बुध :- बुध कमजोर होगा तो दांत ख़राब होंगे, जातक अपने विचारों को अभिव्यक्त नहीं कर पायेगा, स्किन (त्वचा) रोग हो जाते हैं , बुद्धि ख़राब हो जाती है १ इसके लिए हरी  मिर्च,आंवला, हरी सब्जियों का सेवन करें १ तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पियें १
गुरु:- गुरु ख़राब हो तो जातक मोटा होता चला जाता है,    रिश्ते बिगड़ जाते है १  लीवर ख़राब हो जाता है १ इसके लिए  अनार खाएं १ गन्ना, गुड खाएं १ सूर्य सम्मान देता है लेकिन गुरु उस सम्मान को बनाये रखता है
इसलिए गुरु को मजबूत रखें १ हल्दी, केला के सेवन से भी गुरु मजबूत होता है
शुक्र :- शुक्र ख़राब हो तो तन,मन,धन   सब पर ग्रहण लग जाता है १ धन, वैभव,ऐश्वर्य सभी कुछ शुक्र अच्छा हो तो ही मिलता है १ अतः शुक्र को बली रखने के लिए साबूदाने की खीर खाएं, पनीर खाएं, छेना तथा छेने कि मिठाइयां, दूध पछाड़कर उस पानी को पीने से भी शुक्र मजबूत होता है
शनि :- व्यवहारिक जीवन में कुछ पाना है तो शनि मजबूत होना चाहिए १ उड़द, राजमा, लॉन्ग डालकर चावल खाएं १ राइ का पानी पीयें शनि मजबूत होगा
राहु/केतु :- राहु शनि के सामान है और केतु मंगल के समान अतः शनि मंगल कि चीजें खानी चाहिए

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Friday, 24 January 2014

क्यों होता है मानसिक रोग (सिजोफ्रेनिया)/पर्सनालिटी डिसऑर्डर

  

इस रोग की  शुरुआत तभी हो जाती है जब बच्चा गर्भ में  होता है १ जो महिलाएं गर्भावस्था के समय डिप्रेशन तथा तनाव में रहती हैं या डर  और गुस्से में रहती हैं,  दुखी रहती हैं तो बच्चा इस रोग को जन्म से ही लेकर पैदा होता  है १  कुछ अन्य कारण हैं इस रोग के जो इस प्रकार हैं :-


  • गुस्से में उन्माद कि स्थिति तक पहुँच जाना ही सिजोफ्रेनिया है १ बच्चे के जन्म से  पांच वर्ष तक का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है १ इन पांच वर्षों में बच्चे के आस-पास का वातावरण, घर का माहौल, माता-पिता की मानसिक स्थिति, आर्थिक स्थिति आदि का बच्चे पर बहुत प्रभाव पड़ता है १ अतः एक स्वस्थ वातावरण बच्चे को मिले इस बात का   खास ख्याल रखना चाहिए १
  • सिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है १ इसमें रोगी कल्पनाओं में ही विचरण करने लगता है १  लोगों से  डरेगा, एक कोने में बैठा रहेगा, कई बार वॉयलेंट भी हो जाता है १ कई बार  रोगी बार-बार हाथ धोएगा, किसी को पसंद नहीं करता तो उसे देखकर वॉयलेंट हो जायेगा इत्यादि  १ 
  • अति महत्वकांक्षी  व्यक्ति  भी जब अपना लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता तो इस बीमारी का शिकार हो  जाता है १ 
  • ज्योतिषीय विचार करें तो जिस बच्चे का चन्द्र पीड़ित होता है तो बडा  होकर वो बच्चा इस रोग का शिकार  जल्दी होता है १ 
  • राहु,शनि , केतु अगर जन्म चन्द्र को पीड़ित करे तो जातक इस बीमारी से पीड़ित होता है १ जातक बहुत जल्दी डिप्रेशन में आ जाता है १ या तो वह चुप हो जाता है या फिर वॉयलेंट हो जाता है १ 
  • जब राहु केतु कि दशान्तर्दशा आती है या चन्द्र की  दशान्तर्दशा आती है तो वो दशा जातक की बीमारी को बढ़ा देती है १ 
उपाय 
  • बच्चा नकारात्मक, गुस्सैल हो जाये, कल्पनाओं में खोया रहे तो  बच्चे का चंदरमा बली करें १ इसके लिए चाँदी के गिलास में दूध/पानी पिलायें, गंगाजल का प्रयोग करें, माँ के सानिध्य में अधिक से अधिक रखें, मैडिटेशन कराएं १ 
  • रोगी को समाज से जोड़ें १ सुख-दुःख में शामिल करे १ रोगी से ज्यादा  से ज्यादा  बात करें १ समारोहों में ले जाएँ १ घर का माहौल खुशनुमा रखें १  
  • लाल रंग के वस्त्र, लाल मिर्च, तला हुआ खाना, मिच-मसाले वाला खाना न दें १ 
  • पूर्णमासी की  रात को छोटी इलायची डालकर  खीर बनाकर चाँद की रौशनी में रखें और सुबह खिलाएं
  • सिजोफ्रेनिया के रोगी को ठीक होने में वक़्त लगता है अतः  धैर्य रखें क्योंकि ऐसा रोगी खुद को रोगी नहीं मानता १ ऐसे रोगी को आपका प्यार ही ठीक कर सकता है १ 
  • सबसे जरुरी है जब बच्चा माँ के गर्भ में हो तो माँ के खान-पान के साथ-साथ ये भी ध्यान रखें कि वो खूब खुश रहे १ किसी तरह का मानसिक दबाव उस पर न रहे तभी एक  स्वस्थ बच्चा पैदा होगा क्योंकि ये बच्चे ही तो सभ्य समाज के निर्माता हैं 
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Saturday, 18 January 2014

शादी के बाद घर में सुख समृद्धि आएगी या नहीं - कुछ सूत्र


कुंडली का मिलान  करने के बाद ये भी देखना चाहिए कि विवाह के बाद वर/वधु कि जिंदगी में कितनी सुख समृद्धि, यश कीर्ति आयेगी १ कुछ सूत्र इस प्रकार हैं :-
  • वर/वधु की कुंडली में गुरु और मंगल समसप्तक नहीं होने चाहिए  अर्थात जहाँ लड़के कि कुंडली में गुरु/मंगल हों उससे सप्तम भाव में लड़की कि कुंडली में गुरु मंगल नहीं होने चाहिए 
  • वर/वधु की कुंडली में शनि एक दूसरे की कुंडली के लग्न, सप्तम भाव या सप्तमेश को दृष्ट करे तो इनकी जिंदगी में दरिद्रता आएगी 
  • लड़का/लड़की कि कुंडली में शनि/शुक्र 6 /8  और 2 /12  में नहीं होना चाहिए १ इस विवाह से ख़ुशी नहीं मिलेगी १ अगर इनमें से कोई ग्रह स्वगृही या उच्च का हो तो दोष का शमन हो जायेगा 
  • लड़का/लड़की दोनों की कुंडली में शनि चन्द्र दूसरे से 2 /12 , 6 /8  में नहीं होना चाहिए १ 
  • दोनों कि कुंडली में शनि राहु का समबन्ध नहीं होना चाहिए अगर ऐसा है तो दोनों  एस दूसरे के प्रति नफरत पैदा करेंगे १ 
  • लड़के कि कुंडली का सप्तमेश लड़की की कुंडली के 6 ,8 ,12 भाव में चला जाये या इसका उल्टा हो जाये तो शुभ नहीं है १ लड़की कि कुंडली का सप्तमेश 6 ,8 ,12 में चला जाये तो ज्यादा  दोष नहीं है लेकिन अगर लड़के का हो तो खराब है १ शास्त्रों में कहा गया है कि इससे लड़के की उम्र कम होती  है
  • पंचम भाव पर राहु हो, पंचमेश नीच, अस्त तो ये मिलन शुभ नहीं है वंश वृद्धि नहीं होती १ लड़की कि कुंडली में हो तो तभी मिलाएं जब लड़के की कुंडली में पंचम भाव बलिष्ट हो १ 
  • लड़की की  कुंडली में जहाँ मंगल हो  वहाँ  या वहाँ से केंद्र में लड़के की कुंडली का शुक्र हो तो दोनों बहुत अच्छा दाम्पत्य जीवन जीते हैं १ हर प्रकार कि खुशियां प्राप्त होती है 
  • शनि की दृष्टि शुक्र पर पद रही हो तो ऐसा जातक जीवन भर अपने जीवनसाथी को प्यार करता रहेगा १ 
  • लड़के कि कुंडली के सप्तम भाव पर और लड़की की कुंडली के अष्टम भाव पर मंगल शुक्र की युति अपने आप में बहुत बड़ा दोष है १ ये व्यभिचारी होते है इनकी कामुकता कभी शांत नहीं होती १ 
  • अगर अष्टमेश 6 ,8 ,12 पर हो, नीच, अस्त हो तो ऐसी कुंडली से मिलान करना चाहिए जिसकी कुंडली में 1 ,7 ,8 भाव बली  हो १ 
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Friday, 17 January 2014

विवाह के विषय में महत्वपूर्ण सूत्र

विवाह के विषय में महत्वपूर्ण सूत्र 

  • माथे पर दोनों साइड से बाल उड़ने लगें तो ३० वर्ष कि  उम्र में शादी  है १ 
  • मंगल प्रथम,  सप्तम भाव में  हो  तो विवाह में विलम्ब होता है 
  • शनि मंगल तथा केतु की युति हो तो वैवाहिक जीवन में वैमनस्य रहता  है - शनि केतु का उपाय करें 
  • माथा न छोटा हो न ऊँचा तो विवाह उत्तम होगा और जीवन साथी भी मोहक होगा 
  • हमारे बाल भविष्य का आइना है - 22 -25  वर्ष कि उम्र में बाल उड़ने लगें तो विवाह 28  वर्ष के बाद होगा
  • मांग (स्त्रियों में )   दोनों साइड से बाल हलके होने लगें तो विवाह देर से होगा और वैवाहिक सुख में कमी होगी १ मंगल गुरु का उपाय करें १ अहंकार, इगो को दूर करें १ अपनी वाणी से किसी को आहत  न करें , उपाय के तौर पर गरीब कन्याओं को शुक्ल पक्ष की अस्टमी को भोजन कराएं 
  • गुरु के उपाय के लिए ईस्वर  का ध्यान करें मंदिर में  केले का पेड़ लगाकर उसे सींचें 
  • लम्बे घने  बाल अगर झड़ने लगें तो मंगल खराब हैं अतः ताम्बे का छल्ला अनामिका में पहनें 
  • बालों में रुसी हो तो राहु ख़राब है १ राहु चपलता  है जो वैवाहिक जीवन के लिए ठीक नहीं है अतः राहु को ठीक करने के लिए चींटियों को आटा डालें, मछलियों को आटे कि गोलियां बनाकर खिलाएं 
  • बाल सुनहरे हैं, सॉफ्ट और चमकीले हों तो वैवाहिक जीवन सुखद , सम्पूर्ण सौभाग्य प्राप्त होगा 
  • घुंघराले बाल हों, माथा ऊँचा हो तो बहुत ही अच्छा भाग्य होता है १ 
  • शादी नहीं हो रही हो तो केले का पेड़ लगाएं, सींचे और केले का दान करें 
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Monday, 30 December 2013

क्यों नहीं रुकता धन ? कैसे बनें धनवान

          हर मेहनत करने वाला व्यक्ति धनी नहीं होता क्यों ? मैं  कुछ ज्योतिषीय कारण और उपाय  बता रही  हूँ  जिनका पालन करके आप धन की बचत करके धनी बन सकते हैं :-

  • बली मंगल, बुध और शनि अच्छा धन देने कि क्षमता रखते हैं१ शनि मजबूत हो और बुध का  साथ हो तो  व्यक्ति अपनी मेहनत और बुद्धि से धनार्जन करते हैं 
  • धन कमाने के लिए नवम और एकादश भाव बहुत महत्वपूर्ण है तथा धन संचय के लिए दूसरा भाव शुभ होना चाहिए १ इन भावों में शुभ ग्रह जैसे गुरु, बुध, शुक्र और बुध हो तो जातक धनि होता है १ 
  • सूर्य बलिष्ट होकर दशम भाव से सम्बन्ध बनाये तो जातक सरकारी नौकरी से कमाता है, मंगल का संबंध बने तो मेडिकल, अस्त्र-शास्त्र, प्रॉपर्टी आदि से, बुध हो तो लेखन कार्य, एकाउंट्स, कॉमर्स, गुरु हो तो वकालत, जज, सलाहकार, प्रोफेसर,शिक्षण, शुक्र हो तो कला, शनि हो तो कंस्ट्रक्शन लोहे, मशीनरी आदि के कार्य  से धन कमाता है १ राहु-केतु धनार्जन में रूकावट डालते हैं 
  • अगर उपरोक्त ग्रह कमजोर हो तो व्यक्ति कर्ज में डूबा  है, धन हानि बहुत होती है, धन जुड़ नहीं सकता और व्यक्ति हमेशा धन के लिए चिंतित रहता है क्योंकि आज के समय में धन की कितनी महत्ता है ये सभी जानते हैं १ 
उपाय :-
किसी भी हालत में पितृ दोष का उपाय करें, अपने पूर्वजों को  याद करें, बुजुर्गों का अपमान जिसघर में होता है उस घर में धन नहीं टिकता अतः अपने गुरजनों का सम्मान करें, सरकारी तंत्र में काम करे हों तो गायत्री मन्त्र का जप करें ताम्बे का छल्ला अनामिका में पहनें, बादाम दान करें, तुलसी घर में अवश्य लगाएं, सूर्य को जल दें, अपनी नेक कमाई से कुछ हिस्सा परोपकार में लगाएं, माता-पिता  तथा गाय कि सेवा करें १ धन संचय होगा तथा कमाई में बरकत होगी १ 
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Friday, 27 December 2013

कुंडली से कैसे जानें स्वभाव

       हर इंसान अपने आप में अलग होता है १ उसकी शक्ल, स्वभाव, सोच एक  दूसरे से भिन्न होती है १ लेकिन किसी के मन में क्या चल रहा है या उसकी सोच नकारात्मक है या सकारात्मक,  ये जातक कि कुंडली देखकर बताया जा सकता है :-

  •  जिस जातक कि कुंडली में चंदरमा पर मंगल  प्रभाव हो तो जातक को बहुत जल्दी गुस्सा आता है अतः उसे किसी बात को प्यार से समझाएं १
  • वृषभ राशि के व्यक्ति डांट या गुस्से कि बजाय प्यार से जल्दी किसी बात को मानेंगे 
  • गुरु जिनकी कुंडली में बली हो तो ऐसे जातक को किसी का उपदेश अच्छा नहीं लगता वो अपनी मन मर्जी का कम करता है और दूसरों को उपदेश देता है 
  • कन्या राशि के व्यक्ति को कोई बात समझाने के लिए लॉजिक /तर्क देना बहुत जरुरी है - क्यों, कैसे ये सब उसको जानना होता है, ये जल्दी से किसी बात को नहीं मानते 
  • सूर्य से प्रभावित व्यक्ति आक्रामक स्वभाव  का होता है हर काम को गुस्से, लड़ाई या जिसकी लाठी उसकी भैंस  वाली कहावत  इस पर लागू होती है १ 
  • शनि राहु से प्रभावित व्यक्ति हर बात को ऑब्ज़र्व करेगा, तोलेगा १ अगर बात गलत है तो अपने माँ-बाप की भी नहीं मानेगा , ऐसे व्यक्ति या बच्चे को समझदारी से शांति से समझाएं १ 
  • चंदरमा से प्रभावित व्यक्ति/बच्चे को भावनात्मक सपोर्ट कि जरुरत होती है १ ऐसे बच्चे को कभी भी डांटना नहीं चाहिए अन्यथा ऐसे बच्चे/व्यक्ति जल्दी डिप्रेशन में आ जाते हैं  
  • शुक्र से प्रभावित बच्चे को कोई बात मनवाने के लिए पास  बैठकर प्यार से समझाना चाहिए १ 
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Tuesday, 17 December 2013

शनि राहु का बुरा प्रभाव और बचने के उपाय


शनि न्यायाधीश है और इंसान को कर्मठ  बनाता है १ लेकिन पूर्व कुकर्मों के कुप्रभाव के कारण कुंडली में शनि राहु से पीड़ित हो जाये तो  जातक को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है अतः निम्न उपाय करें :-

  • झूठ अहंकार व  नशे  से दूर रहें नहीं तो कभी बरकत नहीं आएगी 
  • हमेशा किसी काम में लगे रहें और ईमानदारी से का  करें१ धन अपने पास न रखकर माँ ,पत्नी या पुत्र के पास रखें १ 
  • फटे जूते न पहने, साफ स्वच्छ रहें, इत्र लगाएं १ यथाशक्ति दान करें १ काले नीले वस्त्र न पहनें 
  • शनि,मंगल,राहु की युति हो तो जातक चिड़चिड़ा होता है, नकारात्मक सोच रखता है किसी  से घुलमिल नहीं सकता अतः अपने को हठ योग से मजबूत रखें और जिंदादिल रहें १ ज्यादा गुस्सा आए तो चांदी धारण करें १ घर को व्यस्थित रखें, शाम को पूजा अवश्य करें १ सामने वाले का मुस्कराकर स्वागत करें राहु शनि शांत रहेंगें १ साधू, संतों, विद्वानों के साथ बैठकर ज्ञान की चर्चा करें गुरु मजबूत होगा और शनि शांत होगा १ बदजुबानी  पर लगाम  लगाएं १ गरीबों की, असहायों की, गाय की सेवा करें, पति -पत्नी प्रेम से रहें १ उपरोक्त उपायों से शनि तथा राहु दोनों के कुप्रभावों से बचाव होगा १ 
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Thursday, 12 December 2013

कैसे करें धन का संचय


            हर मेहनत  करने वाला व्यक्ति धनी नहीं होता क्यों ? १ धन कमाना जितना मुश्किल है उतना ही मुश्किल है धन को सम्हालना, धन की बचत करके संचित करना १ आज मैं  धन  को सहेजने और धनी बनने के कुछ सूत्र बता रही हूँ :-
  • अच्छा मंगल, बुद्ध और  शनि अतुल धन देते  हैं लेकिन अगर ये   कमजोर  हों, पीड़ित हों तो पूर्वजों द्वारा अर्जित धन भी नष्ट हो जाता है १ मंगल कमजोर हो तो जातक धन कमा सकता  है जोड़ नहीं सकता १ 
  • शनि बली हो तो जातक अपनी मेहनत से धनी होता है १ अगर  शुभ बुध का साथ मिल जाये हो तो जातक अपनी सूझ बूझ से धन कमाता है १ 
  • धन कमाने के लिए नवम और बारहवां स्थान बहुत महत्वपूर्ण होता है और धन संचय के लिए दूसरा स्थान होता है 
  • किस क्षेत्र में नौकरी या  व्यापार करने से धन प्राप्त होगा ये दशम भाव और दशम भाव में स्थित ग्रह    बताते  है जैसे :- 
  •  सूर्य बली दशम भाव में हो तो और  छठे  भाव का सम्बन्ध आ जाये तो जातक सरकारी  नौकरी से धन  कमाता है, मंगल हो तो जातक सेना में  उच्चाधिकारी  होता है पुलिस या प्रशासन में नौकरी करता है १  अगर अन्य ग्रहों का योग हो तो जातक मेडिकल, अस्त्र-शस्त्र, प्रॉपर्टी आदि का व्यापार करता है, बुध हो तो एकाउंट्स, कॉमर्स,कम्युनिकेशन और लेखन से धन कमाता है, गुरु हो तो वकालत, सलाहकार,  शिक्षण,आदि से धनार्जन होता है १ शुक्र हो तो व्यापार, कला, सौंदर्य प्रसाधन, स्त्रियों से संबंधित  सामान आदि से, शनि हो तो बिल्डर्स, लोहा, तेल मशीनरी इत्यादि से धन कमाता है १ राहु केतु  धनार्जन में कमी करता है १  
  • धन संचय के उपाय : किसी भी हालत में पितृ दोष दूर कीजिये अन्यथा कितना भी धन  कमाएँ धन रुकेगा नहीं, बुजुर्गों का अपमान न करें अगर वे अपमान के दौर में शारीर छोड़ जाएँ तो भयंकर पितृ दोष लगता है और कई पीढ़ियों तक धन संचय  नहीं होता १ प्रतिदिन अपने पूर्वजों से अपने कृत्यों के लिए क्षमा मांगे और आगे कोई गलत काम न करने की प्रतिज्ञा करें , सरकारी नौकरी में हों तो सूर्य को जल दें, घर में तुलसी लगाएं, बादाम दान करें , पीड़ित ग्रहों का पता लगाकर  उनका उपाय करें १
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Monday, 2 December 2013

विदेश यात्रा और ज्योतिष

          आधुनिक युग मेंअधिकतर लोग विदेश जाना चाहते हैं १ कुछ लोग आसानी से       विदेश चले जाते हैं और कुछ अथक प्रयासों  के बावजूद नहीं जा पाते १ क्या हैं ज्योतिषीय कारण,  आज मैं यही बताने का प्रयास कर रही  हूँ :-
  • कुंडली के तृतीय, पंचम,अष्टम,नवम और दशम भाव से विदेश यात्रा के बारे में देखा जाता है १ 
  • कुंडली में सूर्य, चन्द्र,मंगल, बुध, गुरु और राहु केतु आदि  ग्रह ये बताते हैं कि जातक विदेश में किस उद्देश्य से विदेश जायगा १ 
  • सूर्य के कारण  जातक विदेश जाता है तो उसे कोई सम्मान मिलता है विदेश में १ अगर सूर्य खराब हो तो जातक सरकारी दंड से बचने के लिए विदेश छिपने के लिए जाना चाहता है १ 
  • चन्द्र बलिष्ट हो तो जातक बड़ी आसानी से विदेश चला जाता है और चन्द्र ख़राब हो तो जातक को विदेश जाने में तो परेशानी होती ही है, वह विदेश में खुश भी नहीं रहता १ अच्छे चन्द्र के कारण ही जातक लम्बी विदेश यात्रा करता है १  
  • खराब चन्द्र वाले को नदी, समुद्र के पास यात्रा अवश्य करनी चाहिए १ 
  • कुंडली मंगल अच्छा हो तो जातक विदेश जाकर वहाँ सेटल हो सकता है, लेकिन शुभ मंगल वाला जातक स्वदेश भी जरुर आता है १ 
  • मेष, सिंह, वृश्चिक राशि/ लगन वाले जातक विदेश जाते हैं और कुछ वक़्त बिताकर वापस स्वदेश लौट  आते है १ 
  • बुध विदेश जाने का कारक बने तो जातक व्यापार या वक्तव्य देने के लिए विदेश जाता है १ अगर बुध तीसरे भाव, द्वादश भाव या चन्द्र से सम्बन्ध बनाये तो विदेश जाकर वापस लौट आयें  अन्यथा हानि हो सकती है १ 
  • गुरु अच्छा हो तो उच्च शिक्षा, परोपकार या शांति के लिए विदेश जाता है जातक  १ 
  • चन्द्र शुक्र युति हो तो अवश्य ही विदेश घूमता है जातक १ 
  • शनि राहु केतु तकनीकि क्षेत्र में विदेश ले जाते हैं १ 
विशेष :-  विदेश जाकर सफल होना चाहते हैं तो मेरा अगला पोस्ट देखें १
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Sunday, 24 November 2013

फेंगशुई के उपाय


            आधुनिक युग में फेंगशुई का चलन काफी बढ़ गया है १ ये एक चीनी पद्धति है और आजकल भारत में भी बहुत पॉपुलर है १ ऐसे ही कुछ पॉपुलर नियम बता रही हूँ :-
  • मकान के शयन कक्ष में बहार से सीढ़ी प्रविष्टि नहीं होनी चाहिए १ बीच में पार्टीशन होना चाहिए अन्यथा गृहस्वामी कोर्ट कचहरी में ही उलझा रहेगा १ 
  • शयन कक्ष में सिर के सामने बड़ा दर्पण नहीं होना चाहिए १ अगर जगह की कमी के कारण सम्भव न हो तो दर्पण को ढक कर रखें १ 
  • शयन कक्ष में पानी के चित्र या मछली के चित्र न रखें १ 
  • तकिये के नीचे घडी रखकर सोएं 
  • पलंग पर उलझे हुए डिज़ाइन की चददर न बिछाएं 
  • घर में मुख्य द्वार के सामने कोई ऊँचा वृक्ष नहीं होना चाहिए 
  • घर में मुंह देखने का दर्पण धुंधला नहीं होना चाहिए १ किनारे से टुटा, तरेड़ वाला दर्पण न रखें घर में परेशानिया आती हैं १ 
  • परदे घर में जरुर लगाएं १ परदे पूरे घर में एक जैसे होने चाहिए और चुन्नटदार होने चाहिए १ 
  • पर्दों के छल्ले पूरे  होने चाहिए , कोई भी छल्ला टूटा हुआ नहीं होना चाहिए १ 
  • लाफिंग बुद्धा किसी का गिफ्ट किया हुआ घर में रखें धन की कमी नहीं रहेगी 
  • शुद्ध जल का स्रोत ईशान कोण में रखें  १ 
उपरोक्त कुछ नियम हैं जिनका ध्यान रखने से जीवन की कुछ परेशानियां कम होंगी १

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Saturday, 23 November 2013

महत्वपूर्ण ज्योतिषीय टिप्स


कुछ ऐसे महत्वपूर्ण ज्योतिषीय टिप्स जो हर गृहस्थ को करने चाहिए :-
  • सूर्य कमजोर हो तो थोडा सा गुड हाथ से छुआ कर नदी या तालाब  में प्रवाहित कराएं, तुलसी का पत्ता मुँह में रखें १ गायत्री मन्त्र का जाप करें १  पिता की सेवा करें १ 
  • चन्द्र कमजोर हो तो खूब पानी पियें, खेलें, चाँद कि रोशनी में बैठें, चांदी के गिलास में दूध पियें, खिरनी का फल खाएं १ माँ की सेवा करें १ 
  • बुध बुद्धि का कारक है अतः बुद्ध कमजोर हो तो हरी घास पर चलें, मध्यमा उंगली में ताम्बे का छल्ला पहनें, हरी सब्जियां खाएं , जंक फ़ूड से बचें १ 
  • राहु का प्रभाव हो तो उड़द, चना, राजमा यानि बादी वाली चीजों से बचें १ 
  • अगर शुक्र कमजोर हो तो  साबूदाना खाएं १ 
  • जो लोग अपने शारीर में कम ऊर्जा महसूस करते हैं उन्हें प्रातःकाल सूर्य दर्शन अवश्य करना चाहिए १ 
  • जो लोग बिजली का कम करते हैं उन्हें जब भी मौका मिले मछलियों को दाना जरुर डालना चाहिए,  ये उन्हें बिजली के झटके से बचाएगा १ 
  • शत्रुओं से बचाव के लिए बजरंग बाण का पाठ करें १
  • केले का पेड़ घर में नहीं लगाना चाहिए यह पितृ दोष उत्पन्न करता है १ घर में क्लेश, रोग बढ़ जाते हैं और वंश वृद्धि भी रुक जाती है १ 
  • मन निर्बल हो, हमेशा मन में एक अनजाना भय बना रहे तो "आदित्य हृदय स्तोत्र" का पाठ करें आत्मविश्वास बढ़ेगा और मनोबल ऊँचा होगा १ 
  • जिन घरों में हमेशा कलेश रहता हो तो उन्हें निम्न उपाय करने चाहिए अन्यथा घर में दुरात्माओं का वास हो जाता है :-
           घर में गूगल कि धूनी लगाएं, नमक डालकर पौंछा लगाएं , फटे जूते, कपडे न पहने, घर व्यस्थित रखें ,            कभी- कभी घर में हवन करें १ 

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Wednesday, 20 November 2013

समय अभाव में ईश स्तुति


        आजकल अगर किसी  को किसी चीज की कमी है तो वो है समय की १ ऐसे में  सभी कामों के लिए समय निकल जाता है लेकिन प्रभु की आराधना के लिए समय नहीं निकल पाता १ मैं समयाभाव में प्रभु की स्तुति के  लिए छोटे-छोटे मन्त्र बता रही हूँ :-

गणेश जी :        वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभा १
                        निर्वघ्नम् कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ११
सूर्य भगवान् :    ॐ घृणिः सूर्याय नमः

नवग्रह स्तुति :   ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशि भूमिसुतोबुधश्च १
                           गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतवः कुर्वन्तु सर्व मम सुप्रभातम ११
दुर्गा माँ         :     नमः श्री दुर्गायै

भगवान शिव :     ॐ नमः शिवाय

भगवान् कृष्ण :   ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

शनि स्तुति :  कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रान्तको यम:
                      सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्लाश्रय संस्थिता: १
                      एतानि शनि नामानि जपेत अश्वत्सन्निधो
                      शनिस्श्चर कृता पीड़ा न कदापि भविष्यति ११

                ( इस स्तुति को करने से जातक दीर्घायु होता है और सभी व्याधियों से छुटकारा मिलता है )

विद्या प्राप्ति के लिए :   सरस्वती महाभागे विद्ये कमललोचने
                                    विद्यारूपे विशालाक्षी विद्याम देहि नमोस्तुते

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Monday, 18 November 2013

यात्रा और ज्योतिषीय उपाय


       हम सभी को किसी न किसी प्रकार कि यात्रा पर जाना  होता है १ किसी विशेष दिशा में  एक विशेष वार को यात्रा करना दिशाशूल कहलाता है १

        सोम शनि पूरब न चालू, मंगल बुध उत्तरदिशिकाल
        रवि शुक्र जो पश्चिम जाय , हानि होय पथ सुख नहीं पाय
        बीफे दखिन करे पयाना, फिर नहीं समझो ताको आना

        उपरोक्त का अर्थ और इस दिशा शूल से बचने के लिये  हमारे ऋषि मुनियों ने यात्रा पर जाने से पूर्व कुछ ज्योतिषीय उपाय करने की सलाह दी है जो इस प्रकार है :-
  • सोमवार और शनिवार को  पूर्व दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए १ लेकिन आज के इस भागम भाग के समय में ये सम्भव प्रतीत नहीं होता अतः हमारे ऋषि मुनियों ने बताया है कि  सोमवार देशी दूध  और शनिवार को तिल का सेवन करके घर से निकलें तो यात्रा सफल रहती है १ 
  • मंगल और बुधवार को उत्तर दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए १ लेकिन यात्रा करना अत्यावश्यक हो तो मंगल को गुड और बुधवार को पुष्प का सेवन करके घर से निकलें  १ 
  • इसी तरह रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए १ अगर जाना ही पड़े तो रविवार और शुक्रवार दोनों वारों  को ही  घी का सेवन करके घर से निकलें १ 
  • गुरवार को दक्षिण में  यात्रा करना दिशा शूल होता है अतः इस दिन यात्रा करने से पहले दही खाकर यात्रा पर जाएँ १ 
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Tuesday, 12 November 2013

कुंडली में स्थित श्राप

कुंडली में स्थित  श्राप  


      कई बार  देखा गया  है कि दशा अच्छे भाव की चल रही है,  गोचर  के   ग्रह  भी शुभ होते हैं फिर भी अच्छे परिणाम नहीं मिलते १  इसका कारण कुंडली में कोई शाप हो सकता है जो शुभ फल नहीं लेने देता १ ऐसा पूर्व जन्म के कर्मों के कारण होता है और हम इस जन्म में परेशनियां और दुःख झेलते हैं 
निम्न प्रकार के श्राप से कुंडली शापित होती है 
  • देवताओं का शाप :-कई बार हम कुछ मन्नत मांग लेते है कि फ्लां  काम हो जाये तो मैं देवता का जगराता करूँगा या देव के दर्शन के लिए जाउंगा लेकिन किसी वजह से नहीं करते या भूल जाते हैं तो जब तक ये दोष दूर नहीं होता शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती 
  • सर्प देवता का शाप:- कभी-कभी व्यक्ति कहीं भी पेशाब कर देता है उसे नहीं मालूम कि वहाँ पर कोई सांप की बांबी हो सकती है अगर ऐसा हो तो उसे सर्प देवता का शाप लग जाता है और हमें उसका दुष्परिणाम भोगने पड़ते हैं 
  • माता-पिता का शाप: पूर्व जन्म में या इस जन्म में अगर किसी तरह से माँ-बाप का दिल दुखाया हो तो हमें तथा हमारे बच्चो को भी इसका परिणाम भोगना पड़ता है वंश वृद्धि रुक जाती है सुख-समृद्धि में बढ़ा आती है 
  • प्रेत बाधा :- अगर व्यक्ति का अंतिम संस्कार सही तरीके से नहीं हुआ हो तो आत्मा पिशाच रूप में अपने रिश्तेदारों को बहुत तंग करती है इसके प्रभाव से परिवार में अकाल मृत्यु तथा असाध्य रोग हो जाते हैं  
  • काला जादू : कई बार कुछ लोग किसी कि उन्नति नहीं देख सकते और किसी पर काला जादू , मूठ या मारक मंत्र से वार करते है १ इसके प्रभाव से जातक को बड़े भयंकर कष्ट झेलने पड़ते हैं और कई बार तो अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं 
  उपरोक्त श्राप कुंडली देखकर बताये जा सकते है कि कुंडली किस श्राप के कारण जातक को परेशानिया,असाध्य रोग, धन हानि का सामना करना पड़ रहा है १ उसी आधार पर फिर उपहार भी बताया जाता है १ 

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Sunday, 10 November 2013

कुंडली में मुख्या ग्रह और उपाय


       कुंडली में एक मुख्य ग्रह होता है १ अगर वह बली और शुभ है तो जातक तेजस्वी, मेधावी और भागयशाली होता है और अगर मुख्य ग्रह कमजोर है तो जीवन में बहुत संघर्ष का सामना करना पड़ता है १ मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है १  जन्म कुंडली का लग्नेश ही  मुख्य ग्रह होता है और उसी मुख्य ग्रह के उपाय करने से मुख्य ग्रह को कुछ बल दिया जा सकता है १
  • अगर कुंडली में मुख्य ग्रह सूर्य है तो गायत्री मन्त्र का जप करें 
  • चंद्रमा लग्नेश है तो चांदनी में बैठकर "ॐ चन्दरमसे नमः " का जप करें 
  • मंगल  मुख्य ग्रह हो तो ताम्बे का छल्ला पहनें और खुलकर हँसे  
  • बुध अगर  मुख्य ग्रह हो तो हरे रंग के कपडे पहने, हरी सब्जियां खाएं १ बुधवार को ताम्बे का सिक्का नदी या दरिया में बहायें १ 
  • गुरु  मुख्य ग्रह हो तो केले का पेड़ लगाएं १ गुरु और गाय की सेवा करें 
  • शुक्र  मुख्य ग्रह  हो तो छोटी-छोटी कन्याओं को मीठा दान करें १ कला के क्षेत्र में जाएँ - नृत्य, गायन, संगीत, चित्रकला इत्यादि १ इससे शुक्र मजबूत होगा  १ 
  • शनि  मुख्य ग्रह  हो तो उगते सूर्य को प्रणाम करें १ शनिवार को लोहा दान करें , गरीबों कि मदद करें और फटे पुराने कपडे , जूते -चप्पल घर से बाहर फ़ेंक दें 
इसके साथ ही कुछ अन्य उपाय करें :-

           गाय, कुत्ते , पक्षियों को खाना दें  १ ध्यान रखें घर में किसी वजह से कलह न होने पाये १ अगर कलह होती हो तो ताम्बे का कलश रखकर उस पर नारियल रखें १ घर में दीपक अवश्य जलाएं १ पितृ दोष हो तो उपाय करें १

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