मंगल ग्रह कुंडली के दूसरे , चौथे, सातवें, आठवें, और बारहवें भाव में स्थित हो तो जातक की कुण्डली में मंगल दोष होता है १ दूसरा , चौथा , सातवां , आठवां , और बारहवां भाव क्रमशः परिवार, सुख, पति/पत्नी, आयु और शयन सुख का होता है १ इन भावों में स्थित मंगल उपरोक्त सुखों में कमी दर्शाता है अर्थात वैवाहिक संबंधों में बुरा प्रभाव डालता है १ मंगल दोष को लगन, चन्द्र और शुक्र ग्रह तीनों से देखना चाहिए १ ये मंगल दोष लगभग 7 5 % कुंडलियों में होता है तो ये सभी मांगलिक नहीं होते १ हमारे शास्त्रों ने कुछ ऐसे योग भी बताये हैं जिनके प्रभाव से मंगल दोष ख़त्म हो जाता है या उसका परिहार हो जाता है जो इस प्रकार हैं :-
- जातक का जन्म लगन कर्क या सिंह है तो मंगल किसी भी भाव में स्थित हो मंगल दोष नहीं होता
- मंगल दूसरे भाव में मिथुन या कन्या राशी में हो
- मंगल चौथे भाव में मेष या वृश्चिक राशी में हो
- मंगल सप्तम भाव में कर्क या मकर में हो
- मंगल अष्टम भाव में धनु या मीन में हो
- मंगल बारहवें भाव में वृष या तुला राशी में हो
- मंगल कुम्भ या सिंह राशी में हो
- मंगल जिस राशी में हो उसका स्वामी केंद्र या त्रिकोण में हो
- मंगल राहु के साथ हो
- मंगल मित्र राशी में हो
- मंगल सूर्य या गुरु के साथ हो या दृष्ट हो
विवाह सम्बन्धी किसी भी समस्या के लिए निशुल्क परामर्श हेतु संपर्क करें : jyotishsanjeevani@gmail.com
No comments:
Post a Comment