शनि की साढ़ेसाती का विचार
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जन्म राशी से गोचर में शनि पहले, दुसरे तथा बारहवें भाव में आता है तो जातक को साढ़े साती लगती है १ शनि ढाई साल एक राशी में रहता है अतः तीनों भाव मिलाकर साढ़े सात साल होते हैं १ हर जातक के जीवन में साढ़े साती तीन बार आती है १ शनि की साढ़ेसाती मानसिक, शारीरिक, आर्थिक दृष्टि से कष्टकारी होती है १
अनुभव में पाया गया है कि पूरी साढ़े साती पीड़ादायक नहीं होती बल्कि साढ़े साती तो कई जातकों को अत्यधिक शुभ फलदायी होती है १ शनि की साढ़ेसाती का प्रथम चक्र अधिक परेशानी देता है , दूसरा चक्र मेहनत, काम में रुकावटें देता है लेकिन साथ ही भोतिक सुख, उन्नति भी देता है १ तीसरा चक्र अनेक कठोर फल देता है १ इस अवधि में शनि का मार्कत्व बढ़ जाता है १ न्याय के पथ पर चलने वाले ही इस अवधि को सहजता से पार कर पाते हैं १
शनि की साढ़ेसाती में किये जाने वाले उपाय
- महामृत्युंजय मंत्र के सवा लाख जप करें
- शनिवार को काले घोड़े की नाल का या नाव की कील का छल्ला मध्यमा में पहनें
- शनिवार मंगलवार को हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें
- मजदूर वर्ग का दिल न दुखाएं , जरुरत पड़ने पर हर संभव मदद करें
- मांस मदिरा से दूर रहें
- पीपल के वृक्ष लगायें तथा जल से सींचे
- उड़द की दाल, लोहा, काले वस्त्र , नीलम, तिल , कुल्थी की दाल का दान करें
- बिच्छू घास की जड़ काटे धागे में बांध कर गले में धारण करें
शनि न्यायधीश है १ शनि की साढ़ेसाती कष्टों से तपाकर इंसान को खरा सोना बना देती है क्योंकि कष्ट ही इंसान को भगवान् की शरण में ले जाते हैं १ इस भ्रामक संसार की असलियत सामने आती है १ जब कष्ट आते हैं तो कोई साथ नहीं देता अतः इस मिथ्या संसार से मोह भंग हो जाता है और हम ईश्वर की ओर कदम बढ़ाते हैं जो इस मानव जन्म का उद्देश्य भी है १
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