Sunday, 23 June 2013

वास्तु शास्त्र के कुछ महत्वपूर्ण नियम

वास्तुशास्त्र मानव जाति के लिए एक बहुमूल्य उपहार है १ एक अच्छे  वास्तुकार का कार्य  आधुनिक सुख सुविधा से पूर्ण एक ऐसे भवन के निर्माण में अपना सहयोग देना है जो उसमें रहने वाले को सुख-समृधि दे सके,   भवन की सरंचना  में किसी तरह की क्षति पहुंचाए बिना भवन की सकारात्मक ऊर्जा को  बढाकर इसमें रहने वालों  को सुख- समृधि, सम्पति, मन की शांति प्रदान कर सके १ 

वास्तुशास्त्र के कुछ मूल नियम हैं :-

  • भूमि खरीदने से पहले वास्तु जानकार द्वारा वास्तु नियमों के अनुसार भूमि के आकर और प्रकार की जाँच करा लेनी चाहिए 
  • मकान इस तरह से बनाया जाये कि उसमें   प्राकृतिक प्रकाश, स्वच्छ हवा और सुबह के सूर्य की किरणें आ सकें 
  • फैक्ट्री, वर्कशॉप, मिल या स्कूल का मुख्य द्वार  कोने में नहीं होना चाहिए 
  • दरवाजे  के सामने किसी तरह का अवरोध नहीं होना चाहिए 
  •  दरवाजे के सामने ऊँचे वृक्ष नहीं लगाने चाहिए 
  • रसोईघर, generator, transformer,  या आग से सबंधित कोई वस्तु अग्निकोण में  होनी चाहिए 
  •   पार्किंग की व्यवस्था  उत्तर-पश्चिम कोने में होनी चाहिये
  • वर्षा का जल या संचित जल का प्रवाह उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए 
  • पूजा करने वाले का चेहरा उत्तर -पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए 
  • टॉयलेट, मेनहोल के गंदे पानी का निकास उत्तर-पश्चिम कोने में होना चाहिए
  • गृह  निर्माण के बाद  धार्मिक रीती से वास्तु पूजा, नवग्रह पूजा, ब्राह्मणों को भोजन तथा दक्षिणा आदि देकर प्रसन्न करना चाहिए 
  • शास्त्रानुसार भवन निर्माण का दसवां भाग भवन जागरण के लिए धार्मिक अनुष्ठान पर खर्च किया जाना चाहिए  
वास्तु से सम्बन्धित किसी भी सलाह के लिए संपर्क करें :- jyotishsanjeevani@gmail.com

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