पूर्व दिशा में निर्मित मकान में सामान्यतः निम्न वास्तु दोष जाने-अनजाने हो जाते हैं :-
- पूर्व दिशा के घर में अगर घर के बाकी भाग की बजाय पूर्व का भाग ऊंचा होगा तो गृहस्वामी दरिद्र बन जाएगा और संतान भी अल्पविकसित दिमाग की होगी
- पूर्व में खली स्थान ना छोड़ा जाए तो घर में पुरुष संतान की कमी होती है और होती भी है तो विकलांग होती है
- पूर्व दिशा के घर में अगर मुख्य द्वार अग्नेय कोण में है तो कोर्ट-कचहरी के विवाद, चोरी व आग का भय बना रहता है
- पूर्वी भाग में कूड़ा हो, गन्दगी, रोड़ी पत्थर, मिट्टी का ढेर हो तो धन व सन्तान की हानि होती है
- पूर्वाभिमुखी मकान की चारदीवारी ऊंची नहीं होनी चाहिए, घर का मुख्य द्वार सड़क से दिखना चाहिए नहीं तो परिवार को अत्यंत जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है
- पूर्वी दिशा में रिक्त स्थान ना हो और पश्चिम में ऊंचा स्थान हो तो परिवार के लोग आँखों की बीमारी से ग्रस्त रहेंगे
- घर सड़क या गली से सटाकर बनाया गया हो और पश्चिम में खाली स्थान छोड़ा हो तो घर के पुरुष असाध्य बीमारियों से ग्रस्त रहेंगे या अकाल मृत्यु को प्राप्त करेंगे
- घर में वास्तु दोष हो तो गृहस्वामी के साथ-साथ किरायेदार भी परेशान रहेंगे
उपाय
- अगर संभव हो तो दोष को दूर करने का प्रयास करें नहीं तो निम्न उपाय करें
- पूर्व दिशा में सूर्य यन्त्र की स्थापना करें
- पूर्वी दरवाजे पर मंगल तोरण लगायें
- घर के सभी लोग सूर्य को अर्घ्य दें, क्योंकि पूर्वी दिशा का प्रतिनिधि सूर्य है १
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