Thursday, 6 June 2013

गृह निर्माण के सम्बन्ध में कुछ शुभाशुभ योग

 १. निर्माण कार्य आरंभ करने के समय लगन में उच्च का शुक्र हो या चतुर्थ भाव में उच्च का गुरु हो और एकादश भाव में शनि हो तो ऐसा घर गृहस्वामी को सुख और समृधि देता है १
२. अगर निर्माण कार्य शुरू करने के समय गुरु उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा , उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, पुष्य, मृगशिरा, श्रवण, अश्लेषा , तथा पूर्वाषाढ़ा  नक्षत्र में हो और उस दिन गुरुवार हो तो यह घर सम्पति और सन्तति वाला होगा १ 
३. गृहस्वामी के जन्म चंद्रमा से गोचर का चन्द्रमा  3 ,6 ,1 0 ,1 1 ,1  और 7  भावों में उच्च , स्वराशी  या मित्रराशी में हो तो उस समय में शुरू  किया गया निर्माण कार्य  मंगलकारी होगा १ 
४.  निर्माण कार्य आरंभ करने के समय   जन्म चंद्रमा से गोचर का चन्द्रमा 4 ,8 ,1 2   भावों में हो तो ये  गृहस्वामी की भार्या के लिए   मंगलकारी होगा १ 
५. इसी प्रकार यदि सूर्य कमजोर हो तो गृहस्वामी के लिए अनिष्टकारी होगा १
६. अगर गुरु पीड़ित या नीच का हो तो ये स्तिथि गृहस्वामी के पुत्रों के लिए अच्छी नहीं होगी १
७ गृह निर्माण के समय की  कुंडली में शुक्र की निर्बलता सम्पति हानि  का कारन बनती है १
८. गुरु अस्त के समय में शुरू किया गया निर्माण कार्य पूरा होने में बहुत समय लेगा साथ ही घर में वास्तु दोष भी हो जाएगा १

अतः निर्माण कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व सूर्य, चन्द्रमा, गुरु, और शुक्र के  बल का विचार  अवश्य  करना चाहिए १


अधिक जानकारी के लिए मेल करें -  jyotishsanjeevani@gmail.com

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